विभाग के अधिकारियों की बैठक लेते डीएम | पाठकराज
पाठकराज
नोएडा, 25 जुलाई: जिले में जनशिकायत निस्तारण प्रणाली (IGRS पोर्टल) पर दर्ज शिकायतों के समाधान में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने बड़ी कार्रवाई की है। समीक्षा बैठक में 50 प्रतिशत से अधिक शिकायतकर्ता समाधान से असंतुष्ट पाए गए। इस पर डीएम ने नाराजगी जाहिर करते हुए संबंधित 18 विभागीय अधिकारियों का वेतन रोकने का आदेश जारी कर दिया है।
अधिकारियों पर कसा शिकंजा
कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित समीक्षा बैठक के दौरान डीएम को यह जानकारी मिली कि पोर्टल पर प्राप्त जनशिकायतों के समाधान के बाद फीडबैक में 50 प्रतिशत से अधिक शिकायतकर्ता असंतुष्ट हैं। इस पर तुरंत संज्ञान लेते हुए उन्होंने 18 विभागों के अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
जिन विभागों पर कार्रवाई हुई, उनमें शामिल हैं:
आबकारी विभाग
लीड बैंक मैनेजर
सीएचसी जेवर और बिसरख
सिंचाई विभाग
महिला कल्याण विभाग
पंचायती राज विभाग
औषधि निरीक्षक
बाट-माप विभाग
बाल विकास परियोजना (जेवर)
श्रम विभाग
लोक निर्माण विभाग (PWD)
खेल विभाग
जल निगम (ग्रामीण)
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
नगर पंचायत (जेवर)
महाप्रबंधक उद्योग
स्टांप एवं पंजीयन विभाग (जेवर)
शासन स्तर पर निगरानी जारी
डीएम वर्मा ने स्पष्ट चेतावनी दी कि जनशिकायतों के निस्तारण में अब कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। शासन स्तर पर IGRS पोर्टल की लगातार निगरानी हो रही है, और प्रदर्शन रिपोर्ट सीधे लखनऊ भेजी जा रही है। यदि अगली समीक्षा बैठक तक सुधार नहीं हुआ तो कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई तय मानी जा रही है।
डीएम के निर्देश:
सभी विभागाध्यक्ष असंतुष्ट शिकायतकर्ताओं से व्यक्तिगत रूप से संपर्क करें।
शिकायतों का समाधान गुणवत्तापूर्ण तरीके से सुनिश्चित करें।
प्रतिदिन शिकायतों की मॉनिटरिंग की जाए।
लंबित मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाए।
निजी बैंकों पर भी सख्त रुख
बैठक में लीड बैंक मैनेजर ने निजी बैंकों के खिलाफ लगातार बढ़ती शिकायतों का मुद्दा उठाया। इस पर डीएम ने निर्देश दिए कि संबंधित निजी बैंकों को लिखित चेतावनी पत्र जारी कर समाधान की समयसीमा तय की जाए। नोएडा में जिला प्रशासन अब जनशिकायतों को गंभीरता से लेते हुए पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है। इस कार्रवाई से स्पष्ट संकेत गया है कि फाइलों में समाधान दिखाना और जमीन पर परिणाम न देना अब अधिकारियों पर भारी पड़ेगा।