ग्रेनो वेस्ट की फोटो | पाठकराज
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ग्रेटर नोएडा, 25 जुलाई: ग्रेटर नोएडा के 264 अधिसूचित गांवों में अब जमीन की खरीद-फरोख्त और अवैध कॉलोनियों पर बड़ी सख्ती शुरू हो गई है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अब बिना अधिकृत अनुमति के किसी भी कृषि भूमि की रजिस्ट्री आवासीय श्रेणी में नहीं की जा सकेगी। इस निर्देश के तहत अब प्रॉपर्टी डीलरों और भूमाफियाओं द्वारा प्लॉट काटकर किए जा रहे धोखाधड़ीपूर्ण सौदों पर लगाम लगाई जा सकेगी।
स्टांप एवं निबंधन विभाग को भेजा गया पत्र
प्राधिकरण ने स्टांप एवं निबंधन विभाग को पत्र भेजकर निर्देशित किया है कि जिस श्रेणी में जमीन खसरा-खतौनी में दर्ज है, रजिस्ट्री भी उसी श्रेणी में की जाए। यानी अगर भूमि कृषि श्रेणी की है, तो उसकी आवासीय उपयोग के रूप में रजिस्ट्री नहीं की जा सकेगी। यह निर्देश विशेष रूप से फेज-1 के 124 गांव और फेज-2 के 140 गांवों के लिए प्रभावी रहेगा।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट बना हॉटस्पॉट
ग्रेटर नोएडा वेस्ट (पुराना बिसरख क्षेत्र) वह इलाका है जहां भूमाफिया और अनाधिकृत बिल्डर सक्रिय होकर 50 से 60 गज के प्लॉट काटकर अवैध कॉलोनियों का निर्माण कर रहे हैं। ये कॉलोनियां बिना नक्शा पास कराए, बिना बुनियादी सुविधाओं के विकसित की जा रही हैं। प्राधिकरण के अनुसार, इन कॉलोनियों की रजिस्ट्री के नाम पर लोगों से ठगी की जा रही है, जिससे आम नागरिक अपनी जीवनभर की कमाई खो बैठते हैं।
बैंकों से लोन, फिर फंसते हैं खरीदार
रजिस्ट्री हो जाने के बाद अक्सर लोगों को लगता है कि प्लॉट वैध है। कुछ मामलों में बैंक लोन भी मिल जाता है, जिससे भरोसा और पुख्ता हो जाता है। लेकिन जब निर्माण या बिजली-पानी जैसी सुविधाओं की बात आती है, तो उन्हें पता चलता है कि जमीन गैरकानूनी रूप से खरीदी गई है, और न तो वहां निर्माण वैध है, न ही भविष्य में किसी सरकारी योजना का लाभ मिलेगा।
प्राधिकरण की चेतावनी और अपील
परियोजना महाप्रबंधक ए.के. सिंह ने बताया कि मास्टर प्लान के अनुसार ही किसी भी भूमि का अधिग्रहण या सेक्टर विकास संभव है। अवैध कॉलोनियों को हटाने में प्रशासन, प्राधिकरण और पुलिस का बड़ा समय और संसाधन नष्ट होता है, जिससे शहरी विकास की योजनाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। प्राधिकरण ने आमजन से अपील की है कि जमीन खरीदने से पहले खसरा-खतौनी और भूमि उपयोग श्रेणी की विधिवत जांच करें। अगर जमीन कृषि श्रेणी में दर्ज है, तो भूमि उपयोग में परिवर्तन के बाद ही रजिस्ट्री और निर्माण की अनुमति मिलेगी।