ग्रेटर नोएडा, 25 जुलाई: जल संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने एक बड़ा कदम उठाया है। क्षेत्र के सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STP) को तकनीकी रूप से उन्नत करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस परियोजना के तहत, एसटीपी से निकलने वाले ट्रीटेड वॉटर को इतना स्वच्छ और शुद्ध बनाया जाएगा कि उसका उपयोग औद्योगिक इकाइयों में संभव हो सके।
इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए IIT दिल्ली को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। रिपोर्ट तैयार होने के बाद सभी एसटीपी को NGT (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) और CPCB (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) के मानकों के अनुरूप अपग्रेड किया जाएगा।
औद्योगिक क्षेत्रों को मिलेगा नया जल स्रोत
प्राधिकरण की योजना है कि अपग्रेडेड STP से निकले ट्रीटेड वॉटर को औद्योगिक उपयोग में लाया जाए, जिससे उद्योगों पर ताजे जल स्रोतों का बोझ कम हो। इसके लिए एक अलग पाइपलाइन नेटवर्क विकसित करने की योजना पर भी कार्य शुरू हो चुका है।
प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "इस पहल से न केवल जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह ग्रेटर नोएडा को ‘ग्रीन इंडस्ट्रियल हब’ के रूप में स्थापित करने में भी मददगार साबित होगी।"अभी तक अधिकतर ट्रीटेड वॉटर खेतों में उपयोग या नालों में बहा दिया जाता है। लेकिन नई तकनीक के जरिये इसे फिल्टर और शुद्ध कर के औद्योगिक स्तर के मानकों तक लाया जाएगा। इससे जल स्रोतों में जाने वाला प्रदूषित जल काफी हद तक नियंत्रित होगा।
IIT दिल्ली की भूमिका महत्वपूर्ण
देश के प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान IIT दिल्ली द्वारा तैयार की जा रही DPR में यह भी निर्धारित किया जाएगा कि विभिन्न STP में किस प्रकार की टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन की जरूरत है। साथ ही, लागत, प्रभाव और लागू करने की समयसीमा का भी विश्लेषण किया जा रहा है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुताबिक, यह परियोजना ‘रीयूज-रिसायकल-रिड्यूस’ सिद्धांत पर आधारित है। इसका उद्देश्य है कि सीमित जल संसाधनों का अधिकतम और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। यह परियोजना न केवल ग्रेटर नोएडा के लिए एक पर्यावरणीय मील का पत्थर होगी, बल्कि यह पूरे उत्तर भारत के औद्योगिक क्षेत्रों के लिए एक आदर्श मॉडल भी बन सकती है। जब STP का पानी उद्योगों में दोबारा उपयोग होगा, तो यह जल संकट को कम करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल होगी।