एसडीएम सदर चारुल यादव के नेतृत्व में की गई कार्रवाई
पाठकराज
ग्रेटर नोएडा। उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर गौतमबुद्ध नगर प्रशासन द्वारा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी है। इसी क्रम में बुधवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए ग्रेटर नोएडा के थाना कासना क्षेत्र में 65 बीघा जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया, जिसकी बाजार में अनुमानित कीमत करीब 60 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
प्रशासन के अनुसार, यह सरकारी भूमि सिंचाई विभाग के नाम दर्ज है और लंबे समय से इस पर अवैध कब्जा कर कुछ लोगों ने झुग्गियां और पक्के मकान बना लिए थे। प्रशासन ने पिछले दो वर्षों से इन अतिक्रमणकारियों को कई बार नोटिस जारी किए, लेकिन जमीन खाली नहीं की गई। आख़िरकार, एसडीएम (सदर) चारुल यादव के नेतृत्व में पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारियों की टीम ने मौके पर पहुंचकर बुलडोजर की मदद से अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर दिया।
कार्रवाई से पहले कराई गई थी जमीन की पैमाइश
एसडीएम चारुल यादव ने बताया कि “कार्रवाई से पहले जमीन की पैमाइश कराई गई थी और कब्जेदारों को कानूनी नोटिस भेजे गए थे। कई बार चेतावनी देने के बावजूद निर्माण नहीं हटाया गया, जिससे यह कार्रवाई जरूरी हो गई।” कार्रवाई के दौरान तहसीलदार, लेखपाल, सिंचाई विभाग के अधिकारी और बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर तैनात रहा, ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था या विरोध की स्थिति न बने।
सरकारी जमीन पर बना रखा था स्थायी डेरा
प्रशासनिक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ लोगों ने इस जमीन पर झुग्गी-झोपड़ियां बना ली थीं, तो कुछ ने पक्के मकानों का निर्माण कर लिया था। सरकारी भूमि पर वर्षों से चल रहे इस अवैध कब्जे ने न केवल सरकारी योजनाओं को बाधित किया, बल्कि शासन की भूमि उपयोग योजनाओं के लिए भी चुनौती पेश की थी।
प्रशासन की सख्त चेतावनी – भविष्य में बख्शा नहीं जाएगा कोई भी अतिक्रमणकारी
प्रशासन ने इस कार्रवाई को एक संदेशात्मक कदम बताया है और कहा है कि भविष्य में भी सरकारी संपत्ति पर कब्जा करने वालों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।चारुल यादव, एसडीएम सदर ने स्पष्ट किया कि "सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ हमारी कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।" नोएडा और ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में प्राधिकरण और जिला प्रशासन की ओर से हाल के महीनों में कई बार अवैध निर्माणों और अतिक्रमणों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई की गई है। इस तरह की कार्रवाई न केवल शासन के भूमि सुधार एजेंडे को बल देती है, बल्कि नागरिकों को यह संदेश भी देती है कि कानून का उल्लंघन करने वालों पर सख्ती से निपटा जाएगा।