लखनऊ। लखनऊ एक्सप्रेस वे बीते 15 मई को तड़के राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज क्षेत्र में आउटर रिंग रोड पर एक डबल डेकर एसी बस में भीषण आग लगने से दो बच्चों सहित पांच लोगों की मौत हो गई थी। यह बस बिहार से दिल्ली जा रही थी और ओवरलोडेड थी। आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी थी।
हादसे के वक्त चालक और कंडक्टर यात्रियों को बचाने की जगह बस छोड़कर फरार हो गए थे। इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद पुलिस ने सख्त रुख अपनाया है। बस "ट्रैवल पॉइंट" नामक निजी एजेंसी की थी। यात्रियों के अनुसार, बस पूरी तरह ओवरलोडेड थी और उसमें तकनीकी खराबी के संकेत पहले से ही नजर आ रहे थे। आग लगते ही अफरा-तफरी मच गई और कई यात्रियों को बाहर निकलने का मौका तक नहीं मिल पाया।
पुलिस कार्रवाई
घटना के बाद बिहार के सीतामढ़ी निवासी रामबालक की तहरीर पर चालक, परिचालक और बस मालिक के खिलाफ केस दर्ज किया गया। जांच में तेजी दिखाते हुए पुलिस ने:
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बीते रविवार को बस चालक रामशंकर यादव को गिरफ्तार किया।
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बुधवार देर रात कंडक्टर महेश सिंह, निवासी मोतिहारी (बिहार), को हरिकंशगढ़ी कट के पास से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
एसीपी रजनीश वर्मा के अनुसार, दोनों आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।
बस मालिक की तलाश
पुलिस ने बताया कि बस का मालिक मूल रूप से बागपत का निवासी है, लेकिन वर्तमान में दिल्ली में रह रहा है। उसकी लोकेशन ट्रेस कर ली गई है और गिरफ्तारी के लिए टीमें रवाना कर दी गई हैं। पुलिस सूत्रों कि मानें तो आनंद विहार और कश्मीरी गेट पर बने बस अड्डे पर बस मालिक को देखा गया है। वहीं उसके खास लोगों को पूछताछ के लिए पुलिस हिरासत में ले सकती है।
अधिकारियों कि मानें तो इसके पूर्व में ट्रैवेल प्वाइंट की बसों में कई खामियां मिली थी लेकिन विभागीय लापरवाही से बस मालिक बच निकला था। अब सासन स्तर से सख्त आदेश हैं कि दिल्ली से संचालित होनेवाली डग्गामार बसों पर लगाम लगाई जाएगी।
लापरवाही से गई मासूम जानें
हादसे में जिंदा जलकर मरने वाले यात्रियों में दो मासूम बच्चे भी शामिल थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अगर चालक और कंडक्टर तुरंत मदद करते, तो शायद कुछ जानें बचाई जा सकती थीं। प्रशासन पर प्राइवेट बस ऑपरेटरों की मनमानी पर नियंत्रण न होने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।