Thursday, May 22, 2025 10:21:02 PM

उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण सुधार
फर्जी विवाह पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त: यूपी सरकार को छह महीने में नियम संशोधन का आदेश

उत्तर प्रदेश में फर्जी विवाह प्रमाणपत्रों के मामले बढ़ने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवाह पंजीकरण नियमों में सुधार का आदेश दिया।

फर्जी विवाह पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त यूपी सरकार को छह महीने में नियम संशोधन का आदेश
फर्जी विवाह पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त
पाठकराज

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में फर्जी विवाह प्रमाणपत्रों के बढ़ते मामलों पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाया है। न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की एकल पीठ ने राज्य सरकार को उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियम, 2017 में छह महीने के भीतर संशोधन करने का निर्देश दिया है ताकि विवाह पंजीकरण प्रक्रिया को पारदर्शी, सत्यापन योग्य और भरोसेमंद बनाया जा सके।

 

124 याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सामने आई सच्चाई

अदालत ने यह आदेश उन 124 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई के दौरान दिया, जिनमें ज्यादातर मामले ऐसे जोड़ों से जुड़े थे जो परिवार की मर्जी के बिना विवाह कर न्यायालय से सुरक्षा की मांग कर रहे थे। सुनवाई के दौरान कई याचिकाओं में विवाह प्रमाणपत्र, गवाहों और पंडितों के दस्तावेज फर्जी पाए गए।

 

हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

अदालत ने टिप्पणी की कि राज्य में विवाह पंजीकरण के नाम पर एक संगठित गिरोह सक्रिय है, जो दलालों के माध्यम से फर्जी दस्तावेजों पर विवाह प्रमाण पत्र जारी करवा रहा है। कई मामलों में यह देखा गया कि विवाह हुआ ही नहीं, लेकिन कागजों पर सब कुछ वैध दिखाया गया।

 

क्या होंगे नए प्रावधान?

हाईकोर्ट ने 14 अक्टूबर 2024 की अधिसूचना का कड़ाई से पालन कराने का आदेश दिया है, जिसके तहत:

  • दूल्हा-दुल्हन का आधार प्रमाणीकरण और बायोमेट्रिक डेटा अनिवार्य होगा

  • दोनों पक्षों तथा दो गवाहों के फोटो और पहचान दस्तावेज जरूरी होंगे

  • आयु का सत्यापन डिजिलॉकर, सीबीएसई, यूपी बोर्ड, पासपोर्ट, पैन कार्ड आदि से किया जाएगा

  • विवाह कराने वाले पंडित की उपस्थिति रजिस्ट्रार कार्यालय में आवश्यक होगी

 

विशेष मामलों में मिलेगी शर्तों में छूट

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ये नियम विशेष रूप से उन मामलों पर लागू होंगे जहां विवाह परिजनों की मर्जी के खिलाफ हुआ है। यदि विवाह के समय दोनों पक्षों के परिजन उपस्थित हों और विवाह की पुष्टि करें, तो अधिकारी अपने विवेक से कुछ शर्तों में छूट दे सकते हैं। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह विवाह पंजीकरण नियमों में संशोधन कर इन सभी प्रावधानों को लागू करे और अगले छह महीनों के भीतर पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित करे।

 

क्या कहती है याचिका की जांच?

हाईकोर्ट ने माना कि कुछ याचिकाएं वास्तविक पीड़ितों की थीं, लेकिन अधिकांश याचिकाएं फर्जी दस्तावेजों पर आधारित पाई गईं। कई मामलों में गवाहों के आधार कार्ड फर्जी, पहचान विवरण नकली और प्रमाणपत्र जारी करने वाली संस्थाएं गैरकानूनी तरीके से संचालित थीं।


सम्बन्धित सामग्री