Wednesday, May 21, 2025 07:15:14 PM

आरोप: नेशनल हेराल्ड केस
सोनिया और राहुल पर 142 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप

नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया और राहुल गांधी पर 142 करोड़ रुपये की 'अपराध की आय' के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं।

सोनिया और राहुल पर 142 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप
फाइल फोटो
पाठकराज

नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में गंभीर आरोप लगाए। ईडी ने दावा किया कि दोनों नेताओं ने इस मामले में 142 करोड़ रुपये की ‘अपराध की आय’ से लाभ उठाया है, जो मनी लॉन्ड्रिंग की श्रेणी में आता है।

ईडी की ओर से कोर्ट में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) राजू ने कहा कि, “सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नेशनल हेराल्ड से जुड़े वित्तीय लेन-देन से 142 करोड़ रुपये की अवैध आय का लाभ मिला है। यह मनी लॉन्ड्रिंग का स्पष्ट मामला है।”

राजू ने अदालत को यह भी अवगत कराया कि नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़ी संपत्तियां नवंबर 2023 में कुर्क की जा चुकी हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि “आरोपी इन संपत्तियों का उपयोग करते हुए तब तक लाभान्वित होते रहे, जब तक इन्हें कुर्क नहीं किया गया। यही ‘अपराध की आय का आनंद उठाना’ है।”


 

क्या है ईडी का तर्क?

 ईडी ने अदालत में यह स्पष्ट किया कि “मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत न सिर्फ सीधे अपराध से प्राप्त संपत्तियां शामिल होती हैं, बल्कि वे संपत्तियां भी आती हैं जो किसी आपराधिक गतिविधि से जुड़ी हुई हों।” एजेंसी का कहना है कि सोनिया और राहुल गांधी ने इस अवैध आय को न सिर्फ प्राप्त किया बल्कि उसे अपने पास रखकर और उपयोग करके मनी लॉन्ड्रिंग की प्रक्रिया को जारी रखा।


  

 

अदालत में क्या हुआ?

यह दलीलें उस समय दी गईं जब विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत में इस मामले पर संज्ञान लेने या न लेने को लेकर प्रारंभिक सुनवाई हो रही थी। ईडी ने अदालत से यह भी आग्रह किया कि “मामले की प्रकृति और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए यह ‘प्रथम दृष्टया मनी लॉन्ड्रिंग’ का स्पष्ट केस बनता है।”


 

राजनीतिक हलचल संभव

नेशनल हेराल्ड केस लंबे समय से कांग्रेस और केंद्र सरकार के बीच टकराव का विषय बना रहा है। ईडी के इस ताजा दावे से एक बार फिर यह मामला राजनीतिक सरगर्मी का केंद्र बन सकता है। कांग्रेस पार्टी ने पहले भी इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है, जबकि ईडी इसे कानून के अनुसार की गई निष्पक्ष जांच करार देती रही है।


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