वाराणसी। वाराणसी के लठिया स्थित यश विहार कॉलोनी में रहने वाले 74 वर्षीय महेश प्रसाद साइबर ठगों का शिकार हो गए। आरोपियों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर उन्हें फर्जी मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी दी और आठ दिनों तक मानसिक दबाव में रखते हुए ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा। इस दौरान बुजुर्ग से कुल 1 करोड़ 10 लाख रुपये ठग लिए गए।
महेश प्रसाद की शिकायत पर साइबर थाना पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। डीसीपी साइबर क्राइम प्रमोद कुमार ने बताया कि गुनहगारों की तलाश की जा रही है और जल्द ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।
फोन कॉल से शुरू हुआ खेल:
8 मई की दोपहर एक कॉल से इस ठगी की शुरुआत हुई। फोन करने वाले ने खुद को टेलीकॉम विभाग का अधिकारी बताया और कहा कि महेश प्रसाद के खिलाफ मुंबई के कोलाबा थाने में एफआईआर दर्ज है। आरोप था कि उन्होंने किसी मनी लॉन्ड्रिंग केस में अवैध तरीके से रुपये निकाले हैं।
जब महेश प्रसाद ने खुद को वरिष्ठ नागरिक और हृदय रोगी बताया, तो कॉलर ने उनसे कहा कि उनके घर पर ही पूछताछ होगी। इसके बाद एक महिला ने सीबीआई अफसर बनकर बात की और कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल कर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी नरेश गोयल ने रकम निकाली है। महिला ने भरोसा दिलाया कि जांच में सहयोग करने पर रकम 72 घंटे में वापस कर दी जाएगी।
‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा, किसी से बात करने की मनाही:
ठगों ने महेश प्रसाद को हिदायत दी कि वह इस मामले में किसी से बातचीत न करें। उनका मोबाइल कथित तौर पर निगरानी में रखा गया। डर और भ्रम की स्थिति में महेश प्रसाद ने ठगों के निर्देशों का पालन किया और आरटीजीएस के जरिए 1.10 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए।
पैसे नहीं लौटे, तब टूटा भ्रम:
72 घंटे गुजर जाने के बाद भी जब पैसे वापस नहीं हुए, तो महेश प्रसाद को ठगी का अहसास हुआ। उन्होंने तत्काल वाराणसी साइबर थाना पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। डीसीपी साइबर क्राइम ने लोगों से अपील की है कि कोई भी सरकारी अधिकारी या जांच एजेंसी फोन पर पैसों की मांग नहीं करती। इस प्रकार के कॉल आते ही 1930 साइबर हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत दर्ज कराएं और किसी के झांसे में न आएं।