नई दिल्ली। तमिलनाडु में शराब की खुदरा बिक्री करने वाली सरकारी कंपनी TASMAC के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में फटकार लगाई है। अदालत ने जांच पर फिलहाल रोक लगाते हुए कहा कि ईडी संघीय ढांचे और संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे, ने ईडी से तीखे सवाल पूछे और कहा कि राज्य सरकार द्वारा संचालित इकाई के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई संविधान के संघीय ढांचे की मूल भावना के विरुद्ध है।
कोर्ट की प्रमुख टिप्पणियां
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"आपका ईडी सभी सीमाएं लांघ रहा है।"
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"राज्य द्वारा संचालित कंपनी पर आप कैसे छापा मार सकते हैं?"
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"ईडी सभी नियमों को लांघ रहा है।"
यह मामला TASMAC (Tamil Nadu State Marketing Corporation) से जुड़ा है, जो तमिलनाडु में शराब की खुदरा बिक्री का एकमात्र वैध माध्यम है। राज्य सरकार और TASMAC ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ईडी की छापेमारी और जांच पर रोक लगाने की मांग की थी। इन छापों को लेकर ईडी का कहना था कि यह कार्रवाई 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के कथित भ्रष्टाचार को लेकर की गई है।
याचिकाओं का विवरण
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याचिकाएं मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ थीं, जिसमें ईडी को पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत कार्रवाई की अनुमति दी गई थी।
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वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अमितानंद तिवारी ने कोर्ट को बताया कि शराब दुकानों के लाइसेंस से जुड़े मामलों में राज्य सरकार ने 2014 से अब तक 40 से अधिक FIR दर्ज की हैं।
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याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि जब राज्य पहले से जांच कर रहा है तो ईडी को इसमें दखल देने का कोई औचित्य नहीं बनता।
केंद्र बनाम राज्य का टकराव
यह मामला एक बार फिर केंद्र और राज्य के अधिकार क्षेत्र की सीमा रेखा पर बहस खड़ा करता है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी न केवल ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि संघीय ढांचे की गरिमा को बनाए रखना न्यायपालिका की प्राथमिकता है।