नोएडा/ग्रेटर नोएडा, 20 मई। उत्तर प्रदेश की बहुचर्चित नोएडा कमिश्नरेट पुलिस एक बार फिर विवादों में घिर गई है। इस बार थाना दनकौर क्षेत्र में तैनात एक चौकी प्रभारी और दरोगा पर एक महिला ने बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला का कहना है कि पुलिसकर्मियों ने उसके और उसके प्रेमी की निजी तस्वीरें व वीडियो जबरन हासिल कर उन्हें वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमेल किया।
क्या है पूरा मामला?
दनकौर क्षेत्र की एक आवासीय कॉलोनी में अपने प्रेमी के साथ लिव-इन में रह रही महिला ने आरोप लगाया कि कुछ दिन पहले उसके प्रेमी को पुलिस ने सार्वजनिक स्थान पर शराब के नशे में अभद्रता के आरोप में गिरफ्तार किया था।
पुलिस गिरफ्तारी के दौरान युवक का मोबाइल फोन जब्त कर ले गई। महिला का दावा है कि पुलिसकर्मियों ने मोबाइल से उसकी निजी और आपत्तिजनक तस्वीरें-वीडियो अपने मोबाइल में ट्रांसफर कर लिए। इसके बाद से चौकी प्रभारी और एक दरोगा उसे धमकाने लगे कि अगर उसने बात नहीं मानी, तो वे सामग्री को वायरल कर देंगे।
शिकायत के बाद उठे सवाल
महिला ने पुलिस अधिकारियों के सामने पेश होकर अपनी बात रखी, लेकिन आला अधिकारियों का रवैया टालमटोल वाला नजर आया। एसीपी-3 ग्रेटर नोएडा का बयान हैरान करता है, जिसमें उन्होंने उल्टे महिला के ही इरादों पर शक जताया और कहा,
"यह युवक पहले से पुलिस से झगड़ा कर चुका है, हो सकता है कि बदले की नीयत से आरोप लगवा रहा हो।"
वहीं, एडिशनल डीसीपी सुधीर कुमार ने बयान दिया,
"मामले की जानकारी अभी मुझे नहीं है, शिकायत मिलने पर जांच कराई जाएगी।"
पुलिस की जांच या लीपापोती?
इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है। यदि महिला के आरोप सही हैं, तो यह न केवल कानून का घोर दुरुपयोग है, बल्कि मानवाधिकारों का सीधा उल्लंघन भी है। वहीं, यदि आरोप झूठे हैं, तो पुलिस को तथ्यों के साथ स्थिति साफ करनी चाहिए। लेकिन दोनों ही स्थिति में पुलिस का रवैया असंवेदनशील और कमजोर नजर आ रहा है। महिला ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह ब्लैकमेलिंग का शिकार हो रही है, ऐसे में केवल ‘जांच की जाएगी’ जैसे बयानों से जनता का भरोसा नहीं जीता जा सकता।
प्रमुख सवाल जो उठते हैं:
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क्या पुलिस के पास किसी व्यक्ति के मोबाइल की निजी सामग्री जबरन लेने का कानूनी अधिकार है?
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जांच के नाम पर क्या महिला को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है?
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क्या यह मामला एक गहरी प्रशासनिक विफलता और पुलिस तंत्र की बेलगाम ताकत को उजागर करता है?
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पुलिसकर्मी यदि दोषी पाए जाते हैं, तो क्या उनके खिलाफ सेवा समाप्ति जैसी कठोर कार्रवाई की जाएगी?