Wednesday, July 09, 2025 09:52:32 PM

ऑनलाइन ठगी का मामला नोएडा में
शेयर ट्रेडिंग में मुनाफे का झांसा देकर 34 लाख रुपये की ठगी

नोएडा के निवासी रामबहादुर से ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट फ्रॉड के जरिए 34 लाख रुपये ठगे गए। साइबर सेल जांच में जुटी।

शेयर ट्रेडिंग में मुनाफे का झांसा देकर 34 लाख रुपये की ठगी
ब्रेकिंग | पाठकराज
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नोएडा। नोएडा में एक बार फिर ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट फ्रॉड का मामला सामने आया है, जहां प्रतीक लॉरेल सोसाइटी, सेक्टर-120 के निवासी रामबहादुर से 34 लाख रुपये की ठगी की गई। पीड़ित ने इस संबंध में साइबर क्राइम सेल से शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने मामला संज्ञान में लेकर जांच शुरू कर दी है और संदिग्ध खातों की डिटेल खंगाली जा रही है।

 

इंस्टाग्राम मैसेज से शुरू हुई ठगी की पटकथा

 रामबहादुर ने बताया कि उनके पास 20 मई 2025 को इंस्टाग्राम पर एक मैसेज आया, जो SBI Securities के नाम से भेजा गया था। उस मैसेज में एक लिंक था, जिस पर क्लिक करते ही एक मोबाइल नंबर दिखा और फिर व्हाट्सऐप पर बातचीत शुरू हो गई। फ्रॉड करने वाले व्यक्ति ने खुद को शेयर ट्रेडिंग और IPO एक्सपर्ट बताया और कहा कि "1 लाख निवेश करने पर आपको 1.15 लाख मिलेगा।" पहले विश्वास दिलाने के लिए पीड़ित से 5000 रुपये का निवेश कराया गया, जो कुछ ही मिनटों में ₹5448 दिखाया गया। यही देखकर पीड़ित को विश्वास हो गया और फिर वह लगातार फंड एड करते गए। 

34 लाख जमा, फिर 23.89 लाख की और मांग!

कुछ ही हफ्तों में रामबहादुर ने कुल 34 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। जब उन्होंने कहा कि वे पैसा वापस निकालना चाहते हैं, तो सामने वाले ने "कमिशन" के नाम पर ₹23.89 लाख और जमा करने की मांग की। संदेह होने पर पीड़ित सीधे नोएडा के सेक्टर-18 स्थित SBI Securities ऑफिस पहुंचे। वहां उन्हें बताया गया कि ऐसा कोई स्कीम, प्लान या व्हाट्सऐप सर्विस उनके संस्थान से नहीं जुड़ी है। तभी जाकर उन्हें ठगे जाने का अहसास हुआ।

 

83 लोगों वाला फर्जी व्हाट्सऐप ग्रुप

पीड़ित ने बताया कि ठगों ने उन्हें एक व्हाट्सऐप ग्रुप में भी जोड़ा था, जिसमें पहले से 83 लोग जुड़े थे, जो ट्रेडिंग के "लाभ" की झूठी जानकारी शेयर करते थे। यह ग्रुप एक मानसिक जाल था, जो लोगों को यकीन दिलाता था कि यह निवेश असली है।

 

साइबर सेल की जांच जारी

साइबर सेल ने शिकायत पर जांच शुरू कर दी है और जिन बैंक खातों में पैसे भेजे गए, उनकी जानकारी जुटाई जा रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह गठजोड़ किसी संगठित साइबर गैंग का हिस्सा हो सकता है।


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