नोएडा/ग्रेटर नोएडा, 23 जुलाई। मानसून की कुछ झमाझम बारिशों ने एक बार फिर नोएडा और ग्रेटर नोएडा की हाईटेक छवि को फीका कर दिया है। जिला मुख्यालय से लेकर पॉश सेक्टरों और औद्योगिक इलाकों तक—हर जगह जलभराव की स्थिति देखने को मिल रही है। ट्रैफिक की रफ्तार थम गई है, सड़कों पर कीचड़ और गड्ढों ने चलना मुश्किल कर दिया है, और सवाल खड़ा हो गया है—आखिर अरबों के बजट के बावजूद यह दुर्दशा क्यों?

हर साल वही हाल, प्राधिकरण ने नहीं ली सीख
यह पहली बार नहीं है जब बारिश ने प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल दी है। डीएनडी लूप, महामाया फ्लाईओवर, सेक्टर 34 मेट्रो स्टेशन, दलित प्रेरणा स्थल, ममूरा, सेक्टर 19, 21, 25 (जलवायु विहार), अरुण विहार, सेक्टर 28, 29 जैसे करीब 35 स्थान ऐसे हैं जहाँ जलभराव अब “सामान्य” बन चुका है।
ग्रेटर नोएडा के जिला मुख्यालय, ईकोटेक 3, सूरजपुर औद्योगिक क्षेत्र, टॉय सिटी, हबीबपुर, तुस्याना जैसे क्षेत्र भी पानी में डूबे नजर आ रहे हैं। विडंबना यह है कि करोड़ों खर्च कर बनाई गई सड़कों के साथ नाली निर्माण ही नहीं किया गया।

बिना नाली बनी सड़कें, जलजमाव की जड़
प्राधिकरण हर साल सड़कों पर करोड़ों खर्च करता है, लेकिन नियोजन में भारी चूक होती है। बिना नाली के बनी सड़कों पर बारिश का पानी जमा हो जाता है और कुछ ही महीनों में नई सड़कें उखड़ जाती हैं। इस बार भी ईकोटेक 3, न्यू हालैंड फैक्ट्री के पास, सूरजपुर औद्योगिक क्षेत्र और टॉय सिटी में यही हालात हैं।

सफाई व्यवस्था पर खर्च 1,654 करोड़, फिर भी कूड़े के ढेर
सफाई व्यवस्था के नाम पर नोएडा में 950 करोड़ और ग्रेटर नोएडा में 704 करोड़ रुपये सालाना खर्च किए जाते हैं। इसके अलावा गांवों के विकास के लिए नोएडा में 150 करोड़ रुपये अलग से हैं। फिर भी बारिश में हालात काबू में नहीं रहते। जगह-जगह गंदगी के ढेर और बंद नालियां दिखती हैं, जिससे बदबू और मच्छरों का प्रकोप बढ़ता है।
नालों पर खर्च तो हुआ, लेकिन जलभराव फिर भी बरकरार
सूत्रों के अनुसार, मानसून पूर्व तैयारी के नाम पर नालियों की सफाई और मरम्मत पर भी अच्छा-खासा पैसा खर्च किया गया। ग्रेटर नोएडा में नालों पर 40 करोड़, जबकि नोएडा में सिंचाई विभाग के नालों पर 3.5 करोड़ और अन्य नालों पर 7 करोड़ रुपये खर्च किए गए। फिर भी ज़मीनी हकीकत बदलने की बजाय और बदतर हो गई है।