लखनऊ, 17 मई। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी अब जल्द दूर होने जा रही है — और वह भी बिना नई भर्ती के। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके लिए एक व्यवहारिक समाधान निकाला है। अब चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में प्रशासनिक पदों पर कार्यरत डॉक्टरों को सप्ताह में एक या दो दिन अस्पतालों में मरीजों को देखना होगा।इस संबंध में आदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं के महानिदेशक डॉ. रतन पाल सिंह सुमन द्वारा जारी किया गया है। इस फैसले का सबसे अधिक लाभ लखनऊ समेत राज्य के प्रमुख शहरों में स्थित सरकारी अस्पतालों को मिलेगा, जहां पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी बनी हुई है।
प्रशासनिक डॉक्टरों को मिलेगा फिर से मरीजों से जुड़ने का अवसर
इस आदेश के तहत निदेशक, अपर निदेशक और संयुक्त निदेशक स्तर के विशेषज्ञ डॉक्टरों को सप्ताह में कम से कम एक या दो दिन अस्पतालों में मरीज देखने होंगे। इन अधिकारियों में अधिकांश के पास एमएस, एमडी और डिप्लोमा डिग्रियां हैं, लेकिन प्रशासनिक जिम्मेदारियों में व्यस्तता के चलते इनका चिकित्सा अभ्यास छूट गया है। अब यह डॉक्टर न केवल मरीजों को देख पाएंगे, बल्कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार होगा और प्रशिक्षणरत युवा डॉक्टरों को भी मार्गदर्शन मिल सकेगा।
लखनऊ के अस्पतालों को मिलेगा विशेष लाभ
लखनऊ में तीन दर्जन से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टर विभिन्न प्रशासनिक पदों पर तैनात हैं, जो अब इस आदेश के तहत अस्पतालों में जाकर सेवाएं देंगे। यह आदेश लखनऊ के साथ ही वाराणसी और कानपुर के प्रमुख चिकित्सालयों, मंडल मुख्यालयों के संयुक्त निदेशकों, और परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य महानिदेशालय के अधिकारियों पर भी लागू होगा।
नया प्रयोग, बेहतर परिणाम की उम्मीद
स्वास्थ्य विभाग के इस निर्णय को डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ाने की दिशा में एक अभिनव प्रयोग के रूप में देखा जा रहा है। इससे न केवल मरीजों को विशेषज्ञ इलाज मिलेगा, बल्कि प्रशासनिक डॉक्टरों को भी अपने चिकित्सकीय कौशल को जीवित रखने का अवसर मिलेगा।