फिल्म ‘जाट’ में अपने दमदार खलनायक किरदार से चर्चा में आए अभिनेता विनीत कुमार सिंह की जीवन यात्रा किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। एक साधारण परिवार से निकलकर हिंदी सिनेमा में अपनी अलग पहचान बनाने वाले विनीत की कहानी प्रेरणा का स्रोत है।
बचपन और परिवार की सोच
विनीत कुमार सिंह के पिता गणित के शिक्षक थे और परिवार में शिक्षा को लेकर सख्ती थी। जबकि विनीत की रुचि अभिनय और खेल में थी। जब उन्होंने अभिनय को अपना करियर बनाने की बात की, तो घरवालों की चिंता स्वाभाविक थी।
“पापा कभी नहीं चाहते थे कि मैं इस फील्ड में आऊं,” विनीत बताते हैं।
लेकिन उन्हें यह कला शायद अपनी मां से विरासत में मिली —
“मम्मी को शादी-ब्याह में गाए जाने वाले लोकगीत जुबानी याद थे। वो नाचती-गाती थीं, नाटकों से जुड़ी थीं। शायद वही चीजें मुझमें आईं।”
अभिनय की तरफ झुकाव
विनीत को बचपन से ही सिनेमा एक जादू की तरह महसूस होता था। बनारस की गलियों में पले-बढ़े विनीत बताते हैं कि
“13-14 साल की उम्र में ही मुझे पता था कि मुझे एक्टर ही बनना है। मैं सिर्फ रास्ता ढूंढ़ रहा था।”
मेडिकल की पढ़ाई, लेकिन सपना एक्टिंग का
दिलचस्प बात यह है कि विनीत ने मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया — लेकिन मकसद था एक्टिंग के करीब पहुंचना।
“हर शुक्रवार को हरिद्वार से दिल्ली की बस पकड़ता था, NSD और थिएटर देखता था, और फिर सोमवार को वापस कॉलेज लौटता था।”
इस दौरान उन्होंने खुद को निखारने के लिए किताबें पढ़ीं, डांस सीखा, खेलों में हिस्सा लिया, गाड़ियां चलाना सीखा — यानि एक अभिनेता के रूप में खुद को हर मोर्चे पर तैयार किया।
संघर्ष के साथी
संघर्ष के दौरान उनके परिवार ने उनका साथ कभी नहीं छोड़ा।
“मेरा छोटा भाई कार्तिकेय, बहन मुक्ति और बाद में मेरी पत्नी रुचिरा — ये सभी मेरे साथ खड़े रहे। बहुत लोगों की जरूरत नहीं होती, बस काम करते रहो।”
विनीत का मंत्र
विनीत की कहानी बताती है कि सपना कोई भी हो, अगर उसके लिए जुनून और धैर्य हो तो रास्ता जरूर बनता है।
आज विनीत कुमार सिंह न सिर्फ एक सफल अभिनेता हैं, बल्कि उन हजारों युवाओं के लिए मिसाल हैं, जो सपनों की राह पर संघर्ष से डरते हैं।