लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को आने वाले दिनों में झटका लग सकता है। पावर कॉर्पोरेशन ने राज्य विद्युत नियामक आयोग से बिजली की दरों में 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की सिफारिश की है। इसकी वजह बिजली कंपनियों को हो रहा लगभग 25,000 करोड़ रुपये का घाटा बताया जा रहा है।
हालांकि पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि औसतन 15 प्रतिशत तक बिजली महंगी हो सकती है, लेकिन अब कारपोरेशन प्रबंधन का कहना है कि वास्तविक घाटा कहीं अधिक है। इस बढ़ते वित्तीय संकट से उबरने के लिए बिजली दरों में बड़ी बढ़ोतरी जरूरी बताई जा रही है।
क्या है मामला?
पावर कॉर्पोरेशन ने चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 1.13 लाख करोड़ रुपये का एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकता) प्रस्ताव पहले ही नियामक आयोग को सौंपा था, जिसे आयोग ने 9 मई को स्वीकार कर लिया। लेकिन दर निर्धारण से पहले ही कॉर्पोरेशन ने संशोधित एआरआर दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा, और अब इसे आयोग में जमा कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार, संशोधित एआरआर में घाटे की राशि बढ़ाकर करीब 25,000 करोड़ रुपये कर दी गई है। प्रबंधन का कहना है कि बिजली बिल की वसूली 80% से भी कम हो पा रही है। इसलिए दरों का निर्धारण वास्तविक वसूली के आधार पर किया जाए।
पिछले वर्षों का ट्रेंड
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2019 के बाद से बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।
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पिछली बार दरों में औसतन 11.69 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
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2024-25 के एआरआर में भी बिजली कंपनियों ने 11,203 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया था, लेकिन नियामक आयोग ने उल्टा 1,944 करोड़ रुपये का सरप्लस बताते हुए दरें पाँचवें साल भी नहीं बढ़ाईं।
जनता पर असर
अगर आयोग ने कॉर्पोरेशन के संशोधित प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, तो राज्य के आम उपभोक्ताओं, व्यापारियों और उद्योगों को हर महीने भारी बिजली बिल चुकाने पड़ सकते हैं।