महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों एक नए और बड़े बदलाव की संभावना की हवा चल रही है। कारण है कि सियासी गर्माहट के बीच शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे एक साथ आने के संकेत दे रहे है। अब ऐसे में कई सारे सवाल खड़े हो रहें है कि आखिरकार 19 साल बाद ठाकरे बंधुओं को एकसाथ आने कि जरूरत क्यों पड़ गई।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) और मनसे का प्रदर्शन बेदह खराब रहा। फलस्वरूप महायुति गठबंधन की रिकॉर्ड तोड़जीत हुई, जिससे महाराष्ट्र में भाजपा ने अपना एक मजबूत पक्ष को दर्शाया। अब ऐसी स्थिति में ठाकरे बंधुओं के साथ आने का दो मुख्य कारण हो सकते है। पहला तो ये कि महाराष्ट्र में दिन-प्रतिदिन भाजपा लगातार रूप से मजबूत होती हुई जा रही है, जो कि एमवीए और ठाकरे परिवार के लिए सकारात्मक संकेत नहीं है। वहीं दूसरी ओर आगामी बीएमसी चुनावी रण में उद्धव गुट के शिवसेना के लिए अकेले ही भाजपा का विजयीरथ रोकना थोड़ा कठिन है। इस स्थिति में दोनों भाई साथ आकर चुनावी रण में भाजपा को रोकने का पूरी प्रयास कर सकते है।
कैसे साथ आ सकते हैं दोनों भाई?
महाराष्ट्र में भाजपा की मजबूत स्थिति और शिवसेना (यूबीटी) तथा मनसे की कमजोर स्थिति को देखते हुए, विपक्षी एकजुटता की जरूरत बन रही है। दोनों भाई मिलकर भाजपा के खिलाफ एक मजबूत गठबंधन बना सकते हैं, जो उन्हें आगामी चुनावों में सत्ता वापसी में मदद कर सकता है। इसके अलावा, राकांपा और कांग्रेस जैसे पार्टियां भी इस गठबंधन में शामिल हो सकती हैं, जिससे वे विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बीजेपी के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बना सकें।
कहां पड़ गई इस गठबंधन की जरूरत?
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे, जो कभी एक-दूसरे के बहुत करीबी थे, अब दो दशकों बाद फिर से एक साथ आने के संकेत दे रहे हैं। लेकिन सवाल ये है कि ऐसा क्या हुआ कि अब इन्हें एक-दूसरे की जरूरत महसूस हो रही है? आइए इस बात के गुंजाइश को विस्तार से समझते है। पहले तो ये बात साफ हो चुकी है कि राज ठाकरे की मनसे राजनीतिक रूप से कमजोर हो चुकी है। दूसरी बात ये है कि एकनाथ शिंदे का अलग होकर अलग शिवसेना बनाना उद्धव के लिए झटका हैं। तीसरी बात ये है कि बीते चुनावों में भाजपा और शिंदे की बढ़ती ताकत ठाकरे बंधुओं के लिए चिंता का विषय के रूप में सामने आई है। चौथी और सबसे मुख्य कारण आगामी बीएमसी चुनाव में भाजपा को मात देने की तैयारी है, जिसके लिए दोनों भाई अपनी आपसी दुश्मनी को खत्म करने के लिए तैयार हो सकते हैं।
कौन-कौन से चेहरे निभाएंगे अहम भूमिका?
ठाकरे बंधु के साथ आने की अटकलों के बीच एक सवाल ये भी खड़ा हो रहा है कि अगर दोनों भाई साथ आते हैं तो इस गठबंधन को जोड़ने कौन-कौन से नेताओं की अहम भूमिका होगी। इस बात को ऐसे समझते है कि राज और उद्धव ठाकरे के संभावित गठबंधन में प्रमुख नेतृत्व वाले चेहरे उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे, संजय राउत, आदित्य ठाकरे और राज के करीबी सहयोगी होंगे, जबकि कांग्रेस और राकांपा जैसे पार्टियों का समर्थन भी इसे और ताकतवर बना सकता है। यह गठबंधन दोनों पक्षों के लिए एक राजनीतिक मजबूरी बन सकता है, ताकि वे भाजपा और शिंदे गुट के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा बना सकें।