Tuesday, August 19, 2025 04:04:07 PM

नोएडा प्राधिकरण की लापरवाही
नोएडा प्राधिकरण: संवेदनहीन तंत्र और दो सफाईकर्मियों की मौत

नोएडा प्राधिकरण की लापरवाही से दो सफाईकर्मियों की मृत्यु हो गई। पुराने और वर्तमान मामलों में सुरक्षा के प्रति गंभीरता की कमी दिखाई देती है।

नोएडा प्राधिकरण संवेदनहीन तंत्र और दो सफाईकर्मियों की मौत
प्राधिकरण के एसीईओ के सामने बिना सुरक्षा उपकरण के काम करता कर्मचारी | पाठकराज
पाठकराज

नोएडा । नोएडा प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और उसके शीर्ष पदों पर बैठे अभियंताओं की संवेदनशीलता को लेकर एक बड़ा सवाल फिर से उठ खड़ा हुआ है। 16 अगस्त को सेक्टर-115 में गहरे सीवर की सफाई के दौरान दो सफाईकर्मियों की अकाल मृत्यु इस बात का ताजा प्रमाण है कि तंत्र की लापरवाही का खामियाजा सबसे कमजोर वर्ग को ही भुगतना पड़ता है।

 

अतीत की एक घटना

साल 1998-2000 के आसपास जब नोएडा प्राधिकरण सीवरेज ट्रीटमेंट सिस्टम का निर्माण कर रहा था, तब कुछ पत्रकारों ने अनियमितताओं की पुष्टि के लिए एक गहरे कुएं का दौरा किया था। तत्कालीन मुख्य अनुरक्षण अभियंता एस.पी.एस. चौहान ने उन पत्रकारों को कड़ी फटकार लगाई थी। उनका गुस्सा इस बात को लेकर नहीं था कि पत्रकारों ने दौरा क्यों किया, बल्कि इसलिए था कि बिना सुरक्षा इंतज़ाम और बिना सूचना के वहां जाना कितना खतरनाक था। उनका कहना था – “यदि तुम लोगों को कुछ हो जाता तो मैं क्या जवाब देता?” यह उस दौर की संवेदनशीलता थी।

 

वर्तमान की त्रासदी

आज जब दो सफाईकर्मियों ने सीवर में उतरकर जान गंवाई, तो सवाल यह है कि क्या नोएडा प्राधिकरण के शीर्ष अभियंताओं में वह संवेदनशीलता जरा भी बची है?
अनपढ़ और रोज़गार की मजबूरी में काम करने वाले सफाईकर्मी बिना किसी सुरक्षा उपकरण के जहरीली गैसों से भरे सीवर में उतर जाते हैं और मौत के मुंह में समा जाते हैं। उनके परिवारों को मुआवजे के नाम पर कुछ लाख रुपये थमा दिए जाते हैं और जांच की रस्म अदायगी पूरी हो जाती है।

 

जांच और कार्रवाई – एक मजाक

प्राधिकरण के प्रेस नोट के मुताबिक, घटना की जांच अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी कृष्णा करुणेश ने की और कर्तव्य लापरवाही के लिए –

  • प्रभारी वरिष्ठ प्रबंधक अशोक वर्मा को कारण बताओ नोटिस,

  • प्रबंधक पवन बरनवाल को प्रतिकूल टिप्पणी,

  • संविदा जेई अनिल वर्मा की सेवा तीन माह के लिए स्थगित कर दी गई।

सोचिए, दो लोगों की मौत पर इतनी हल्की कार्रवाई – क्या यह न्याय है? और सबसे बड़ी बात, जल-सीवर विभाग के प्रमुख अभियंता आर.पी. सिंह, जो वर्षों से पद पर जमे हैं, उनकी जिम्मेदारी पर कोई चर्चा तक नहीं की गई।

 

कोई कार्ययोजना नहीं

और भी चिंताजनक बात यह है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए किसी ठोस कार्ययोजना का कोई उल्लेख प्रेस नोट में नहीं है।

 

सवाल वही – फर्क क्या है?

तब, पत्रकारों को लेकर मुख्य अभियंता चिंतित थे कि अगर उन्हें कुछ हो जाता तो जवाबदेही किसकी होती। आज, सफाईकर्मी जान गंवा बैठे – लेकिन तंत्र के लिए यह केवल एक “घटना” है। क्या दो पत्रकारों की संभावित मौत और दो सफाईकर्मियों की वास्तविक मौत में कोई फर्क है? फर्क बस इतना है कि तब तंत्र संवेदनशील था, और आज तंत्र संवेदनहीन है।


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