प्रयागराज। संभल स्थित शाही जामा मस्जिद को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद में सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट से हिंदू पक्ष को बड़ी राहत मिली है। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने मस्जिद कमेटी की पुनरीक्षण याचिका (रिवीजन) को खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट के आदेश पर लगी रोक को हटा दिया है। इससे अब मस्जिद में एडवोकेट कमिश्नर द्वारा किए गए सर्वे और आगे की अदालती कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है।
क्या है पूरा मामला?
मामला संभल जिले के मोहल्ला कोट पूर्वी में स्थित जामा मस्जिद से जुड़ा है, जिसे हिंदू पक्ष श्री हरिहर मंदिर के रूप में दावा करता है। हरिशंकर जैन और सात अन्य वादियों ने दीवानी न्यायालय में यह मुकदमा दाखिल कर दावा किया था कि यह मस्जिद मुगल सम्राट बाबर द्वारा 1526 में मंदिर ध्वस्त कर बनाई गई थी। ट्रायल कोर्ट ने नवंबर 2024 में इस मामले की सुनवाई करते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को एडवोकेट कमिश्नर के साथ मिलकर सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था।
मस्जिद कमेटी का विरोध और सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
मस्जिद कमेटी ने ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने को कहा। मस्जिद कमेटी ने पुनरीक्षण याचिका में दीवानी अदालत के आदेश को जल्दबाजी में लिया गया और पूर्वाग्रह से ग्रस्त बताया।
हिंसा और त्वरित कार्यवाही का आरोप
मस्जिद कमेटी की ओर से दलील दी गई थी कि 19 नवंबर 2024 को मुकदमा दायर होने के कुछ ही घंटों के भीतर कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति कर दी और उसी दिन व 24 नवंबर को मस्जिद परिसर में सर्वेक्षण करवा लिया गया। इससे पहले कि कोई उचित जवाब दिया जा सके, 29 नवंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी दे दिया गया था। इस दौरान सर्वे को लेकर हुई हिंसा में चार लोगों की जान भी गई थी।
हाईकोर्ट का फैसला: पुनरीक्षण याचिका खारिज
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने मस्जिद कमेटी की पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट के आदेश पर लगाई गई अंतरिम रोक को विखंडित कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि अब सर्वेक्षण और दीवानी न्यायालय में लंबित मामले की अगली सुनवाई व कार्यवाही में कोई बाधा नहीं है।
क्या है अगला कदम?
अब इस मामले में ट्रायल कोर्ट के स्तर पर सर्वे रिपोर्ट दाखिल होने के बाद आगे की विधिक प्रक्रिया तेज़ हो सकती है। इससे पहले एएसआई को सर्वेक्षण के निर्देश दिए जा चुके हैं और मस्जिद परिसर के भीतर पुरातात्विक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण साक्ष्य ढूंढने का काम शुरू हो सकता है।