मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी आदेश पत्र | पाठकराज
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्व मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। अब भूमि विवाद, जाति, निवास, आय प्रमाण पत्र और वारासत जैसे मामलों की जांच लेखपाल नहीं, बल्कि नायब तहसीलदार करेंगे। यह फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लगातार मिल रही शिकायतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
क्यों लिया गया यह निर्णय?
अब तक लेखपाल की रिपोर्ट को अंतिम माना जाता था, लेकिन इसमें भ्रष्टाचार, पक्षपात और मनमानी की शिकायतें लगातार सामने आ रही थीं। मुख्यमंत्री के समक्ष आए मामलों में यह बार-बार स्पष्ट हुआ कि कई मामलों में लेखपाल जांच में निष्पक्षता नहीं बरत रहे थे। उदाहरण के तौर जौनपुर जिले के सिकरारा ब्लॉक के भीलमपुर गांव का ही एक प्रकरण सामने आया जिसमें लगभग 12 वर्षों से एक ग्राम पंचायत की तालाब को चारों तरफ से दंबंगो द्वारा कब्जा कर लिया, मामले को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक शिकायत हुई, लेकिन शिकायतकर्ता की सारी जानकारी कब्जा करने वाले दंबंगों को दे दी गई। राजस्व मामलों में आमजन की परेशानी और शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री के निर्देश पर यह ढांचा बदला गया है। अब नायब तहसीलदार से नीचे कोई अधिकारी राजस्व मामलों की जांच नहीं कर सकेगा।
क्या होगा अब नया सिस्टम?
नायब तहसीलदार करेंगे अब भूमि, जाति, निवास, आय प्रमाण पत्र और वारासत संबंधी शिकायतों की जांच।
शिकायतकर्ता की सुनवाई अनिवार्य होगी, ताकि पक्षों को निष्पक्ष रूप से अपनी बात रखने का अवसर मिले।
कोई भी निर्णय SDM (उपजिलाधिकारी) स्तर पर ही लिया जाएगा, यानी अब किसी एक जांच रिपोर्ट के आधार पर फ़ैसला नहीं होगा।
क्या होंगे बदलाव के लाभ?
लेखपाल स्तर पर हो रही अनियमितताओं और भ्रष्टाचार पर लगेगा अंकुश
जवाबदेही तय होगी—अब नायब तहसीलदार जांच के लिए जिम्मेदार होंगे
जनता को मिलेगा विश्वसनीय और निष्पक्ष न्याय
फर्जी जाति/निवास/आय प्रमाण पत्र बनाने वालों पर कसेगा शिकंजा
यह फैसला डिजिटल गवर्नेंस और सुशासन की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है
जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को स्पष्ट निर्देश
राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव एस.पी. गोयल ने सभी मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए। अधिकारियों को स्पष्ट किया गया है कि जांच में पारदर्शिता और निष्पक्षता सर्वोपरि होनी चाहिए।
सरकार की मंशा साफ “भ्रष्टाचार मुक्त राजस्व व्यवस्था”
योगी सरकार का यह कदम राजस्व विभाग में चल रही वर्षों पुरानी कार्यप्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन है। इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, पक्षपात और झूठे प्रमाण पत्रों की प्रक्रिया को खत्म करना है।