Thursday, July 03, 2025 06:14:43 AM

पनीर में मिलावट का खुलासा
नोएडा में मिलावटी पनीर का जाल: अलीगढ़ से आए 20 में से 20 नमूने फेल, स्वास्थ्य पर मंडरा रहा गंभीर खतरा

तीन महीने में ही 40 में से 20 सैंपल खाने लायक नहीं; रिफाइंड, केमिकल और सिंथेटिक फैट से तैयार हो रहा जहरीला पनीर

नोएडा में मिलावटी पनीर का जाल अलीगढ़ से आए 20 में से 20 नमूने फेल स्वास्थ्य पर मंडरा रहा गंभीर खतरा
नोएडा के एक गांव में बनता पनीर | पाठकराज
पाठकराज

नोएडा, 2 जुलाई 2025 - दिल्ली-एनसीआर की रसोईयों में रोज़ इस्तेमाल होने वाला पनीर अब स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बन चुका है। खासकर अलीगढ़ से आने वाले पनीर में मिलावट का स्तर चौंकाने वाला है। नोएडा खाद्य विभाग की हालिया जांच में खुलासा हुआ है कि अलीगढ़ से भेजे गए 20 में से 20 पनीर के सैंपल स्वास्थ्य मानकों पर फेल हो गए हैं। 

पिछले तीन महीनों में लिए गए 40 नमूनों में से अब तक 24 की रिपोर्ट आई, जिनमें 20 सैंपल पूरी तरह खाने लायक नहीं पाए गए। इनमें रिफाइंड तेल, हानिकारक केमिकल, सिंथेटिक फैट और बीन्स जैसे घटक बड़ी मात्रा में मिले हैं। ये सभी तत्व पनीर की प्राकृतिक गुणवत्ता को नष्ट कर देते हैं और लीवर, पेट और हॉर्मोनल डिसऑर्डर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

 

कैसे फूटा मिलावट का यह मामला?

30 जून को नोएडा के सेक्टर-63 में पुलिस और खाद्य विभाग की संयुक्त टीम ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 14 क्विंटल मिलावटी पनीर बरामद किया था। इस छापेमारी में चार लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था। बरामद पनीर की फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि वह मानव उपभोग के लायक नहीं है।

सर्वेश मिश्रा, सहायक खाद्य आयुक्त-2, ने कहा:
"जांच में जो तथ्य सामने आए हैं वे बेहद गंभीर हैं। इस पनीर में रिफाइंड और अन्य सिंथेटिक पदार्थ की मात्रा इतनी अधिक थी कि वह सीधे तौर पर स्वास्थ्य के लिए खतरा है। हम कोर्ट में मुकदमा दाखिल कर रहे हैं और आगामी दिनों में और सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।"

 

नंबरों की जुबानी: मिलावट का खतरा कितना बड़ा है?

 

पैरामीटर 2025 (अप्रैल–जून) 2024 (पूरा वर्ष)
लिए गए नमूने 40 122
जांच रिपोर्ट प्राप्त 24 69
फेल हुए सैंपल 20 48
दर्ज मुकदमे 22 72
जुर्माना राशि ₹17.20 लाख (2 केस) ₹52.70 लाख (14 केस)

 

क्या होता है मिलावटी पनीर में?

खाद्य विशेषज्ञों के अनुसार, नकली पनीर में निम्न चीज़ों की मिलावट की जाती है

रिफाइंड ऑयल — सस्ते तेल को ठंडा करके मलाई जैसा रूप दिया जाता है

सिंथेटिक फैट — गाय/भैंस की मलाई की जगह फैट पाउडर या रासायनिक पेस्ट

यूरिया और डिटर्जेंट — दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए

बीन्स पेस्ट और स्टार्च — नकली ठोसपन के लिए

कास्टिक सोडा — लंबे समय तक टिकाने के लिए

ये सभी घटक पाचन तंत्र को नुकसान, फेफड़ों में सूजन, हॉर्मोनल असंतुलन और कैंसर तक का खतरा पैदा कर सकते हैं।

 

सरकारी कार्रवाई और आगे की योजना

खाद्य विभाग ने इस पूरे नेटवर्क को तोड़ने के लिए व्यापक अभियान शुरू किया है। एडीएम प्रशासन की अदालत में विभिन्न धाराओं में केस दायर किए जा रहे हैं। विभाग अब अलीगढ़, हाथरस, एटा और आसपास के जिलों से आने वाले दूध एवं पनीर उत्पादों पर सीधी निगरानी रखेगा। नोएडा पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में यह भी सामने आया है कि ये लोग कच्चा माल ग्रामीण क्षेत्रों से लाकर औद्योगिक क्षेत्रों में तैयार पनीर की खेप भेजते थे, जो होटल, ढाबों, और मिठाई दुकानों में खपाई जाती थी।

 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी

डॉ. आरती मल्होत्रा, वरिष्ठ डायटीशियन, ने कहा:
"लोगों को लोकल ब्रांड्स के सस्ते पनीर से सावधान रहना चाहिए। बच्चों और बुजुर्गों को यह सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। कोशिश करें कि विश्वसनीय डेयरी ब्रांड्स या FSSAI-प्रमाणित उत्पाद ही खरीदें।"


जनता से अपील: क्या करें, क्या न करें?

क्या करें:

हमेशा ब्रांडेड और FSSAI लाइसेंस नंबर वाला पनीर ही खरीदें

शक होने पर दुकानदार से बिल लें

घर में पनीर की गुणवत्ता जाँचने के घरेलू उपाय अपनाएं (जैसे गंध, स्वाद, पानी छोड़ना)

 

क्या न करें:

सड़क किनारे या सस्ते दामों में बिकने वाले पनीर से बचें

बहुत सफेद, चमकदार या सख्त पनीर को न खरीदें

यदि खाने के बाद जी मिचलाना, जलन या दस्त जैसी दिक्कत हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें


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