Friday, June 06, 2025 09:49:21 PM

योगी आदित्यनाथ का 53वां जन्मदिन
योगी आदित्यनाथ @53: वैराग्य से नेतृत्व तक, एक सन्यासी मुख्यमंत्री की दुर्लभ यात्रा

योगी आदित्यनाथ ने अपना 53वां जन्मदिन मनाया, जिसमें उनके राजनीतिक करियर और आध्यात्मिक जीवन पर प्रकाश डाला गया। उत्तर प्रदेश में विशेष आयोजन किए गए।

योगी आदित्यनाथ @53 वैराग्य से नेतृत्व तक एक सन्यासी मुख्यमंत्री की दुर्लभ यात्रा
मुख्यमंत्री की विभिन्न तस्वीर | पाठकराज
पाठकराज

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज 53 वर्ष के हो गए। ‘महंत से मुख्यमंत्री’ तक का उनका सफर केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुशासन, वैराग्य और जनसेवा की अद्वितीय मिसाल है। गोरखनाथ मठ के पीठाधीश्वर से लेकर भारत के सबसे बड़े राज्य के निर्विवाद नेता बनने तक, योगी का जीवन तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक बन चुका है।  23 वर्ष की आयु में संन्यास लेने वाले योगी आदित्यनाथ ने 1998 में मात्र 26 वर्ष की उम्र में लोकसभा में प्रवेश किया। गोरखपुर से लगातार पांच बार सांसद बने, और जब 2017 में उत्तर प्रदेश की सत्ता उनके हाथों में आई, तो एक सन्यासी मुख्यमंत्री का दृश्य भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में विरल और ऐतिहासिक बन गया।

 

संघ, शिक्षा और संगठन के संगम से निकला नेतृत्व

योगी आदित्यनाथ का छात्र जीवन हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में बी.एससी. के दौरान न केवल शिक्षा बल्कि हिंदू जागरण और छात्र राजनीति से भी जुड़ा रहा।
अखिल भारतीय हिंदू रक्षा परिषद—जो आरएसएस का एक विंग था—ने जब महंत अवैद्यनाथ जी को पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र में युवाओं को जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी, तब अजय सिंह बिष्ट (आज के योगी) को कार्यक्रम संयोजक बनाया गया। कार्यक्रमों की सफलता और युवाओं को संगठन से जोड़ने की योग्यता देखकर महंत जी ने उन्हें गोरखनाथ मठ आने का न्योता दिया। हालांकि योगी ने तीन वर्षों तक उसका उत्तर नहीं दिया, लेकिन जब पहुंचे तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।

 

7 वर्षों का शासन – शुद्धिकरण और पुनर्निर्माण की नीति

2017 से अब तक के 7 वर्षों में योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को:

  • माफिया और अपराध मुक्त प्रदेश बनाने,
  • निवेश के नए कीर्तिमान स्थापित करने,
  • धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को वैश्विक मानचित्र पर लाने,
  • तथा आध्यात्मिक विरासत के पुनरुत्थान की दिशा में ऐतिहासिक कार्य किए हैं।
  • अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण उनकी सरकार के कार्यकाल की सबसे बड़ी सांस्कृतिक विजय मानी जा रही है।

 

जनसेवा में रमा एक तपस्वी

योगी आदित्यनाथ आज भी मुख्यमंत्री आवास में मठ की सादगी से रहते हैं। उनका जीवनदर्शन स्पष्ट है— "राजनीति सेवा का माध्यम है, न कि स्वार्थ का साधन।" यही कारण है कि वे प्रशासनिक सख्ती और व्यक्तिगत सादगी का अद्भुत संतुलन बनाए रखते हैं। चाहे अयोध्या का रामलला दरबार हो या काशी का विश्वनाथ धाम – हर जगह उनकी छवि एक सेवक की दिखाई देती है, न कि शासक की।

 

जन्मदिन पर जनभावनाओं का ज्वार

आज उनके जन्मदिवस के अवसर पर प्रदेश भर में विशेष आयोजन हुए।

  • अयोध्या में रामलला को 53 दीप अर्पित किए गए,

  • काशी में गंगा आरती विशेष रूप से योगी जी को समर्पित की गई,

  • गोरखपुर में भव्य हवन-पूजन और भंडारे का आयोजन हुआ।

इन आयोजनों ने स्पष्ट कर दिया कि योगी अब केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक जनआस्था बन चुके हैं।

 

क्या भविष्य में देश को मिलेगा एक ‘आध्यात्मिक राष्ट्रनायक’?

जब उत्तर प्रदेश विकास, अनुशासन और सांस्कृतिक जागरण के त्रिकोण पर आगे बढ़ रहा है—तो यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है: क्या आने वाले वर्षों में योगी आदित्यनाथ केवल प्रदेश तक सीमित रहेंगे? या भारत की राजनीति एक बार फिर धर्म, राष्ट्रवाद और अनुशासन के त्रिकोण पर योगी जैसे नेतृत्व को अपना मार्गदर्शक बनाएगी? योगी आदित्यनाथ का जीवन इस बात का उदाहरण है कि संयम, साधना और संकल्प से न केवल समाज बदला जा सकता है, बल्कि शासन और राजनीति को भी सेवा का माध्यम बनाया जा सकता है।

53वें जन्मदिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को कोटिशः शुभकामनाएं!


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