पूर्व पत्रकार और पूर्व भाजपा समर्थक मनीष कश्यप | पाठकराज
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पटना/नोएडा। बिहार की राजनीति में यूट्यूब की एंट्री फिलहाल कुछ दिनों के लिए टल गई है। चर्चित यूट्यूबर और सोशल मीडिया स्टार मनीष कश्यप की आज यानी 23 जून 2025 को प्रशांत किशोर (PK) की जन सुराज पार्टी में धमाकेदार एंट्री की चर्चा गरम थी, लेकिन अब यह सियासी पकवान धीमी आंच पर पकाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी में शामिल होने की तारीख जुलाई के पहले सप्ताह तक के लिए टाल दी गई है।
पिछले कुछ दिनों से मनीष कश्यप और PK के बीच हुई बैठकों और रणनीतिक चर्चाओं को लेकर सोशल मीडिया पर कयासों की आंधी चल रही थी। कश्यप समर्थकों में जबरदस्त उत्साह था कि उनका नेता अब सत्ता के गलियारों में अपना झंडा गाड़ने को तैयार है।
हाल ही में लखनऊ में पवन सिंह की मां से आशीर्वाद लेना, PK के करीबियों से संपर्क और चनपटिया सीट से संभावित चुनाव लड़ने की अटकलें—सभी कुछ इस बात की तस्दीक कर रहे थे कि मनीष का अगला मुकाम विधानसभा होगा।
लेकिन... सियासत में वक्त से पहले कुछ नहीं होता और वक्त आने पर सब कुछ हो जाता है। सूत्र बताते हैं कि पार्टी और मनीष कश्यप के बीच कुछ “टेक्निकल पहलुओं” पर सहमति बनना बाकी है—जैसे प्रचार की भाषा, रणनीतिक गठजोड़, और आने वाले चुनावी ब्लूप्रिंट में उनकी भूमिका।
राजनीतिक विश्लेषण
मनीष कश्यप का जन सुराज से जुड़ना PK के लिए सोशल मीडिया कैपिटल में निवेश जैसा होगा। जन सुराज अब तक जमीनी मुद्दों पर काम कर रही थी, लेकिन मनीष के आने से पार्टी को डिजिटल फ्रंट पर बड़ी ताकत मिल सकती है। वहीं मनीष को एक वैध राजनीतिक मंच मिल जाएगा जिससे वे "सिर्फ आवाज़ नहीं, असर भी" बन सकें।
अंदरखाने की खबर
राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि PK की टीम चाहती है कि मनीष की छवि “आक्रामक पत्रकार” से बदलकर “जननेता” के रूप में स्थापित हो। इसी की तैयारी में देरी हो रही है।
अगला कदम
अब नजरें जुलाई पर टिक गई हैं, जब मनीष कश्यप का “जन सुराज में जनमत संग्रह” होना तय माना जा रहा है। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला, तो बिहार की राजनीति में एक नया डिजिटल नेता उभरने वाला है—जो कैमरे के सामने नहीं, अब संसद के गलियारों में बोलेगा।