गाजियाबाद/नोएडा। वैट (मूल्य वर्धित कर) बकायेदारों से बकाया राजस्व की वसूली को लेकर राज्यकर विभाग ने अभियान तेज कर दिया है। नोएडा और गाजियाबाद जिले के दोनों जोनों में ऐसे बकायेदारों की पहचान की जा रही है जिनकी फर्में जीएसटी लागू होने के बाद बंद हो चुकी हैं, लेकिन अब भी वैट के तहत कर बकाया है।
राज्यकर विभाग ने इन लापता फर्मों की पहचान के लिए बैंकों से सहयोग लिया है। विभाग द्वारा बैंकों को वैट में पंजीकृत फर्मों के पैन कार्ड नंबर और अन्य विवरण भेजे गए, जिनके आधार पर बैंक अब उन खातों की जानकारी राज्यकर विभाग को दे रहे हैं जो इन फर्मों से जुड़े हुए हैं।
पैन कार्ड बन रहा सुराग का जरिया
राज्यकर विभाग के अधिकारी अब इन बैंक खातों की गहन जांच कर रहे हैं ताकि फर्म मालिकों तक पहुंचा जा सके। विभाग की मंशा है कि बकाया कर की वसूली सुनिश्चित की जा सके और बंद हो चुकी फर्मों से भी राजस्व नुकसान की भरपाई हो।
जीएसटी लागू होने के बाद की स्थिति
भारत में जुलाई 2017 से जीएसटी लागू हुआ, जिसके बाद वैट व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया। उस समय वैट पंजीकृत फर्मों के TIN नंबर को जीएसटी नंबर में बदला गया था। व्यापार के स्वरूप के आधार पर कुछ फर्में केंद्र के पास (सीजीएसटी) और कुछ राज्य के अधीन (एसजीएसटी) चली गईं। हालांकि, बड़ी संख्या में ऐसी फर्में हैं जो अब व्यापार नहीं कर रहीं, लेकिन वैट के अंतर्गत उनका कर बकाया रह गया, जिससे राज्य का राजस्व प्रभावित हुआ।
नकली जीएसटी रिटर्न पर भी सख्ती
राज्यकर विभाग की कार्रवाई सिर्फ वैट तक सीमित नहीं है। विभाग ने उन व्यापारियों पर भी नजर रखनी शुरू कर दी है जो जीएसटी में शून्य (निल) रिटर्न दाखिल कर रहे हैं, लेकिन उनके व्यापार स्थलों पर स्टॉक मौजूद पाया गया है। ऐसी स्थिति में संबंधित व्यापारियों के खिलाफ एसआईबी जांच (Special Investigation Branch) की कार्रवाई की जाएगी।
एडिशनल कमिश्नर, ग्रेड-1, राज्यकर, मानवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि “वैट बकायेदारों के पैन कार्ड के आधार पर बैंकों से बड़ी संख्या में डाटा मिल रहा है। इसके आधार पर संबंधित खंड जांच कर वसूली की प्रक्रिया चला रहे हैं। मुख्यालय को लगातार इसकी रिपोर्ट भेजी जा रही है।”