Friday, May 16, 2025 01:03:50 AM

संजय दत्त का संघर्षपूर्ण जीवन
संजय दत्त: रील के हीरो से रियल ज़िंदगी के योद्धा तक का सफर

संजय दत्त ने अपने करियर और नशे की लत से जूझते हुए भारी संघर्ष किया। उन्होंने पुनर्वास के बाद अपनी जिंदगी में नया अध्याय शुरू किया और अब वे दूसरों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।

संजय दत्त रील के हीरो से रियल ज़िंदगी के योद्धा तक का सफर
यह तस्वीर संजय दत्त के शुरुआती करियर की है, जिसमें वे सफेद टैंक टॉप और लंबे बालों में नजर आ रहे हैं, जो उनके 'खलनायक' अवतार की याद दिलाती है।
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मुंबई (विकास राजपूत) - बॉलीवुड में 'संजू बाबा' के नाम से मशहूर अभिनेता संजय दत्त ने फिल्म रॉकी से बड़े पर्दे पर कदम रखा और अपनी पहली ही फिल्म से लाखों दिलों में जगह बना ली। रोमांस, एक्शन, कॉमेडी या खलनायकी—हर किरदार में उन्होंने खुद को साबित किया। लेकिन जितनी रंगीन उनकी रील लाइफ रही, उतनी ही मुश्किलों से भरी रही उनकी रियल लाइफ।

ग्लैमर की चकाचौंध में डूबता सितारा

युवावस्था में संजय दत्त नशे की लत के शिकार हो गए। उन्होंने खुद स्वीकार किया है कि इस लत की वजह से उन्होंने न केवल बड़ी फिल्मों के मौके गंवाए, बल्कि अपनी सेहत और परिवार का भरोसा भी खो दिया। फिल्म हीरो, जो बाद में जैकी श्रॉफ को मिली, पहले संजय दत्त को ऑफर हुई थी। लेकिन नशे की गिरफ्त ने उनके करियर को अस्थायी ठहराव दे दिया।

जब जिंदगी से टकराया सच

एक कॉलेज कार्यक्रम के दौरान संजय दत्त ने साझा किया था कि कैसे दो दिन भूखे रहने के बावजूद उन्हें होश नहीं था। घर के नौकर की आंखों में आंसू देखकर उन्हें एहसास हुआ कि वे अपनी जिंदगी के सबसे अंधेरे दौर में हैं। उन्होंने जब आईने में खुद को देखा, तो उनका चेहरा खून से सना था—नाक और मुंह से खून बह रहा था।

पिता बने संजीवनी, अमेरिका में हुआ पुनर्जन्म

संजय दत्त ने बताया कि जब उन्होंने यह सब अपने पिता सुनील दत्त को बताया, तो वे उन्हें अमेरिका के पुनर्वास केंद्र ले गए। वहां दो साल तक चले इलाज और आत्मसंघर्ष के बाद संजय दत्त ने नशे पर जीत हासिल की। आज वे खुलकर कहते हैं कि उन्होंने न केवल खुद नशे से दूरी बनाई, बल्कि अब दूसरों को भी इससे बचने की प्रेरणा देते हैं।

‘संजू’ ने खोले अनकहे पन्ने

राजकुमार हिरानी द्वारा निर्देशित साल 2018 में आई फिल्म संजू ने उनकी जिंदगी की अनसुनी कहानियों को परदे पर उतारा। रणबीर कपूर द्वारा निभाया गया संजय दत्त का किरदार दर्शकों को भीतर तक छू गया। यह फिल्म सिर्फ एक बायोपिक नहीं थी, बल्कि उम्मीद, संघर्ष और बदलाव की कहानी थी।


संजय दत्त आज सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो जीवन की किसी भी बुरी आदत से जूझ रहे हैं। उन्होंने साबित किया कि गिरना कोई हार नहीं, हार तो तब होती है जब आप उठने की कोशिश नहीं करते।


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