Monday, June 23, 2025 05:24:34 PM

दिल्ली में झुग्गी संकट
झुग्गियों पर चली बुलडोज़र की आहट: राजधानी दिल्ली की 675 बस्तियां संकट में, तुगलकाबाद टॉप पर

दिल्ली में 675 अवैध झुग्गी बस्तियां खतरे में हैं, जिसमें लाखों परिवार रहते हैं। तुगलकाबाद, मोती नगर, और वजीरपुर में सबसे ज्यादा बस्तियां हैं।

झुग्गियों पर चली बुलडोज़र की आहट राजधानी दिल्ली की 675 बस्तियां संकट में तुगलकाबाद टॉप पर
देवली में बुल्डोजर की गतिविधियां | पाठकराज
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नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में सरकारी जमीनों पर बसे लाखों परिवारों की छत अब खतरे में है। दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड (DUSIB) की ताजा रिपोर्ट ने राजधानी की ज़मीन पर बसे हुए हकीकत का आइना दिखाया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 675 अवैध झुग्गी बस्तियां इस वक़्त दिल्ली की सरकारी और प्राइवेट जमीनों पर बसी हुई हैं। इनमें से कुछ पहले ही उजाड़ दी गई हैं, जबकि बाकी पर कोर्ट के आदेश के बाद तोड़फोड़ की तलवार लटक रही है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि सबसे ज्यादा 82 अवैध झुग्गी बस्तियां तुगलकाबाद विधानसभा क्षेत्र में हैं, जहां करीब 23,381 मकान बने हैं। दूसरे नंबर पर मोती नगर आता है जहां 34 बस्तियों में 25,021 घर हैं, और तीसरे स्थान पर वजीरपुर विधानसभा, जहां 26 बस्तियों में 13,736 मकान मौजूद हैं।

 

सरकारी विभागों की ज़मीन पर कब्जा, रेलवे सबसे ज्यादा प्रभावित

इन बस्तियों ने जिन-जिन जमीनों पर कब्जा किया है, उनमें सबसे ज्यादा डीडीए, रेलवे, एमसीडी और डूसिब की जमीन शामिल है। इसके अलावा आर्मी, एयरफोर्स, दिल्ली जल बोर्ड, वक्फ बोर्ड, विश्वविद्यालय, अस्पताल, और यहां तक कि फ्लड कंट्रोल व ग्राम सभा की जमीन भी कब्जे में है।

जखीरा की राखी मार्केट बस्ती दिल्ली की सबसे बड़ी बस्ती बनकर उभरी है, जहां 12,716 मकान रेलवे की जमीन पर बने हैं।

 

नई दिल्ली और साउथ दिल्ली भी अछूते नहीं

नई दिल्ली क्षेत्र में 20 बस्तियों में 2894 मकान हैं, जिनमें कुछ सेना और एयरफोर्स की जमीन पर बनी हैं। वहीं देवली, कालकाजी, हरि नगर, यमुनापार, बवाना, महरौली जैसे इलाकों में भी हजारों अवैध झुग्गियां हैं।

 

सवाल वही पुराना: क्या विकास की कीमत सिर्फ गरीब चुकाएंगे?

दिल्ली में आवास संकट एक पुराना मुद्दा है, लेकिन अब यह सिर्फ नीतिगत गलती नहीं बल्कि एक मानवाधिकार संकट बन चुका है। लाखों परिवार वर्षों से इन बस्तियों में रह रहे हैं, उनके बच्चों की पढ़ाई, उनकी आजीविका, और उनकी पहचान — सब कुछ इन बस्तियों से जुड़ा है।



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