Friday, May 16, 2025 02:26:05 AM

बिहार चुनाव 2025
बिहार चुनाव 2025: नए और अनुभवी चेहरों के बीच मुकाबला

बिहार चुनाव में नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी सहित नए चेहरे भी सक्रिय होंगे। सभी दल अपनी रणनीतियाँ तैयार कर रहे हैं।

बिहार चुनाव 2025 नए और अनुभवी चेहरों के बीच मुकाबला
बिहार के यवा नेता
पाठकराज

बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों में नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी जैसे दिग्गज चेहरे नजर आएंगे। इन दिग्गज चेहरों के साथ ही बिहार का ये चुनाव कुछ नए चेहरों की भी परीक्षा लेगा। चुनाव के दौरान कई नए चेहरों की चर्चा होती रहेगी। ऐसे में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), जनता दल यूनाइटेड (जदयू), भाजपा और कांग्रेस समेत सभी अहम दल अपनी-अपनी रणनीति तय करने में जुट गए हैं। कुछ दलों ने अपने पुराने और अनुभवी चेहरों की दम पर ही बिहार में मतदाताओं को लुभाने का लक्ष्य रखा है। वहीं, दूसरी तरफ कुछ युवा और नए चेहरे भी बिहार की राजनीति पर असर छोड़ने के लिए तैयार दिख रहे हैं। इन चेहरों में जनसुराज पार्टी के प्रशांत किशोर से लेकर पुष्पम प्रिया चौधरी तक शामिल हैं। कन्हैया कुमार, चिराग पासवान, नितिन नवीन, मुकेश सहनी और निशांत कुमार जैसे नामों की भी इस चुनाव में काफी चर्चा रह सकती है।

तेजस्वी यादव: अपने पिता और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की उंगली पकड़कर सियासत में एंट्री मारने वाले तेजस्वी यादव, बिहार के युवा नेताओं की लिस्ट में सबसे छोटे यानी सिर्फ 32 साल के हैं. साल 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद बिहार के सबसे प्रभावशाली युवा नेताओं की लिस्ट में सबसे पहले नंबर पर हैं. राजद की राजनीतिक विरासत संभाल रहे तेजस्वी को शुरुआत में ‘कमतर’ साबित करने की कोशिश की गई, लेकिन अपनी मेहनत से उन्होंने खुद को ‘लंबी रेस का घोड़ा’ साबित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है. उनकी रणनीतियों, बयानों और सधी हुई पॉलिटिक्स करने के अंदाज ने सबको लाजवाब भी किया और चौंकाया भी है.

पुष्पम प्रिया चौधरी: 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से एक साल पहले बतौर ‘मुख्यमंत्री उम्मीदवार’ सियासत में धमाकेदार एंट्री करने वाली 34 साल की पुष्पम प्रिया चौधरी ‘नए जमाने’ की पॉलिटिक्स करना चाहती हैं। लंदन से पढ़कर लौटीं जदयू नेता की बेटी भी जमीनी राजनीति करने की जद्दोजहद कर रही हैं। आम राजनीतिक दलों से अलग ‘प्लूरल्स’ नाम से अपनी पार्टी बनाकर वे सामाजिक कार्यकर्ताओं, आरटीआई एक्टिविस्ट आदि को जोड़ रही हैं, ताकि बिहार की राजनीति में माकूल परिवर्तन ला सके। विधानसभा चुनाव से पहले पूरे बिहार का दौरा कर उन्होंने इसकी झलक भी दिखाई है।

मुकेश सहनी: बॉलीवुड फिल्मों की सेट डिजाइन करने वाले मुकेश सहनी पिछले लगभग एक दशक से बिहार की राजनीति में अपने को ‘सेट’ करने के लिए सक्रिय हैं। निषाद यानी मल्लाह जाति के नेता के तौर पर राजनीति शुरू करने वाले 41 साल के मुकेश सहनी ने विकासशील इंसान पार्टी बनाकर पहले महागठबंधन का खेमा पकड़ा, फिर मौका देखकर एनडीए में शामिल हो गए। हालांकि जिस नाटकीयता से उन्होंने एनडीए की डोर थामी थी, उससे कहीं अधिक नाटकीय रूप से वे उससे पलायन भी कर गए। बिहार में हाल के दिनों में हुए सियासी उठापटक के दौरान उनकी पार्टी टूटकर बिखर गई, जिन्हें वापस जोड़ने की कवायद में इन दिनों वे जुटे हुए हैं।

नितिन नवीन: भाजपा के दिग्गज नेता रहे नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा के बेटे और वर्तमान में बिहार सरकार में मंत्री पद संभाल रहे नितिन नवीन, प्रदेश की राजनीति में युवा नेताओं की लिस्ट में तेज-तर्रार पॉलिटिशियन के रूप में जाने जाते हैं। जमीनी पकड़ और धारदार बयानों से पहचान बनाने वाले नितिन, धीरे-धीरे ही सही मगर भाजपा की सेकेंड-लाइन में जगह बनाने में सफल रहे हैं. राजधानी पटना में रहकर ही उन्होंने सियासत का ककहरा सीखा है, जिसकी झलक में उनमें दिख जाती है।

चिराग पासवान: दलित नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत संभाल रहे चिराग पासवान अभी उम्र के दूसरे पड़ाव की दहलीज पर हैं। वे 39 साल के हैं और समर्थकों के बीच उन्होंने ‘युवा बिहारी’ के नाम से पहचान बनाई है। साल 2019 के लोकसभा और 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से वे लगातार अपनी लोक जनशक्ति पार्टी को व्यापक जनाधार वाला दल बनाने की कोशिश में जुटे हैं। एनडीए में रहते हुए भी उनकी खुद की पहचान बनाने की ‘कश्मकश’ जारी है।

कन्हैया कुमार: तेजस्वी यादव से उम्र में महज 3 साल बड़े कन्हैया कुमार, अपनी धारदार वक्तृता के लिए जाने जाते हैं. जेएनयू छात्रसंघ का अध्यक्ष, फिर कम्युनिस्ट पार्टी और अब कांग्रेस में आ चुके 35 वर्षीय कन्हैया कुमार, अभी तक राजनीतिक जमीन बनाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने भाजपा नेता गिरिराज सिंह के खिलाफ लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद ही कांग्रेस में शामिल हुए, इन दिनों कयास लग रही है कि उन्हें कभी भी पार्टी बिहार चुनाव की कमान सौंप सकती है।

प्रशांत किशोर: 2014 से भारतीय राजनीति में चुनावी रणनीतिकार के तौर पर पहचान बनाने वाले प्रशांत किशोर ने कोरोनाकाल से पहले नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ज्वाइन की थी। देश के कई राज्यों में अलग-अलग पार्टियों के लिए चुनावी रणनीति बनाकर उन्हें जिताने वाले किशोर, जदयू में लंबी पारी नहीं खेल सके और वापस अपने ‘आई-पैक’ में लौट गए। बंगाल चुनाव के बाद उन्होंने बतौर चुनावी रणनीतिकार के अपने पेशे को छोड़ने का ऐलान किया. फिर कांग्रेस में जाने की अटकलें लगीं, वापस ‘रणनीतिकार’ की पारी शुरू करने जैसे दावे हुए, लेकिन सियासी हलकों में ‘पीके’ नाम से पहचाने जाने वाले 45 वर्षीय किशोर ने बिहार से राजनीतिक पारी शुरू करने का ऐलान कर दिया।


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