आगरा एक्सप्रेस वे पर खड़ी बस
पाठकराज
मैनपुरी, 20 मई। तेज रफ्तार और लापरवाही का शिकार एक और बस मंगलवार सुबह आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। आजमगढ़ से दिल्ली जा रही प्राइवेट बस, कुर्रा थाना क्षेत्र में खड़े ट्रक में पीछे से जा घुसी। हादसे में बस कंडक्टर गंभीर रूप से घायल हो गया, जबकि अन्य 20 यात्री मामूली रूप से घायल हुए हैं। यह एक्सप्रेसवे पहले भी कई बड़े हादसों का गवाह बन चुका है।
झपकी बना हादसे की वजह
हादसा सुबह 5 बजे के करीब माइल स्टोन 99 के पास हुआ, जब बस चालक को झपकी आई और वह खड़े ट्रक में जा भिड़ा। घायल यात्रियों को सैफई मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। कंडक्टर की हालत नाजुक बताई जा रही है। बस दिल्ली के कश्मीरी गेट जा रही थी।
सूचना मिलते ही कुर्रा थाना प्रभारी अरविंद सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे। एंबुलेंस की मदद से सभी घायलों को अस्पताल भेजा गया और क्रेन से क्षतिग्रस्त वाहनों को हटाकर यातायात बहाल कराया गया।
एक्सप्रेसवे पर हादसे आम, ये हैं पिछले कुछ बड़े हादसे:
- 16 जुलाई 2019 (फिरोजाबाद):
दिल्ली से लखनऊ जा रही स्लीपर डबल डेकर बस सड़क किनारे खड़े कंटेनर में घुसी।
29 यात्रियों की मौके पर ही मौत, 20 से अधिक घायल। यह एक्सप्रेसवे का अब तक का सबसे भीषण हादसा माना जाता है।
- 21 फरवरी 2022 (इटावा):
लखनऊ से दिल्ली जा रही प्राइवेट बस डिवाइडर से टकराकर पलटी।
3 यात्रियों की मौत, दर्जनों घायल। हादसे का कारण तेज रफ्तार और ब्रेक फेल बताया गया।
- 27 जून 2023 (कन्नौज):
एक ट्रैवल बस खड़े टैंकर से टकराई।
6 यात्री घायल, बस पूरी तरह क्षतिग्रस्त। ड्राइवर को झपकी आने की बात सामने आई।
- 12 अक्टूबर 2023 (मैनपुरी):
टायर फटने के कारण निजी बस पलट गई।
1 महिला की मौत, 15 घायल। टायर की गुणवत्ता पर उठे थे सवाल।
प्रशासन की सुस्ती से नहीं रुक रहे हादसे
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को "हाई-स्पीड कॉरिडोर" के तौर पर विकसित किया गया है, लेकिन सुरक्षा मानकों की कमी, तेज रफ्तार, और सड़क किनारे खड़े भारी वाहनों के चलते यह एक्सप्रेसवे 'डेथ कॉरिडोर' बनता जा रहा है।
“चालक को झपकी आने से हादसा हुआ। केवल कंडक्टर गंभीर रूप से घायल है। अन्य यात्रियों को मामूली चोटें आई हैं। इलाज के बाद उन्हें रवाना किया जाएगा।”
— अरविंद सिंह, प्रभारी निरीक्षक, कुर्रा
विशेषज्ञों का मानना है कि:
- रात्रिकालीन ड्राइविंग के लिए मल्टीपल ड्राइवर अनिवार्य हों
- हर 50 किमी पर इमरजेंसी निगरानी पॉइंट हो
- खड़े वाहनों के लिए वार्निंग लाइट्स/रिफ्लेक्टर्स अनिवार्य किए जाएं
- कैमरा निगरानी और ट्रैफिक पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए