नोएडा। सेक्टर 39 स्थित जिला अस्पताल की पूर्व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. रेनू अग्रवाल पर 14.60 करोड़ रुपये के घोटाले का गंभीर आरोप सामने आया है। दिल्ली के चांदनी चौक से भाजपा के मंडल उपाध्यक्ष द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है।
आरोप है कि डॉ. रेनू अग्रवाल ने सेवानिवृत्ति से ठीक पहले फर्जी तरीके से एक ही वेंडर को सभी ठेके देकर करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार किया। ठेकों में पारदर्शिता न बरतते हुए नियमों को दरकिनार किया गया और सरकारी धन का गबन किया गया। बताया जा रहा है कि पूर्व सीएणएस ने एक ही वेंडर को अलग अलग पते के एक ही कंपनी को टेंडर जारी कर दिया गया। वहीं फर्म की तरफ से जो भी दस्तावेज लगाए गए हैं वो सभी दस्तावेज फर्जी हैं।
शिकायतकर्ता की ओर से आरोप
भाजपा मंडल उपाध्यक्ष का आरोप है कि टेंडर प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं बरती गईं। बिना किसी प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के एक ही वेंडर को विभिन्न विभागीय सप्लाई व सेवाओं के अनुबंध सौंप दिए गए। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस मामले की सीबीआई या ईडी जैसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाई जाए ताकि दोषियों को सजा और सरकारी धन की भरपाई हो सके।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह ने बताया, “शासन स्तर से अभी तक कोई औपचारिक आदेश या सूचना प्राप्त नहीं हुई है। यदि जांच या कार्रवाई हेतु कोई निर्देश प्राप्त होता है, तो उसे पूरी सख्ती से लागू किया जाएगा।” वहीं वर्तमान सीएमएस डॉ. राणा ने भी पुष्टि की कि, “इस संबंध में हमें अब तक कोई औपचारिक पत्र या आदेश प्राप्त नहीं हुआ है।”
सेवानिवृत्ति से पहले हुआ खेल
सूत्रों के मुताबिक, यह संपूर्ण मामला डॉ. रेनू अग्रवाल के सेवानिवृत्त होने से कुछ ही समय पहले अंजाम दिया गया। यही कारण है कि जांच की मांग करने वालों का कहना है कि इस घोटाले को जानबूझकर योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया और कागजी कार्यवाही में भी हेरफेर किया गया। मामला अब शासन स्तर पर पहुँच चुका है, और यदि सरकार संज्ञान लेती है, तो यह नोएडा स्वास्थ्य विभाग के भीतर एक बड़ी जांच और कार्रवाई का रास्ता खोल सकता है। सरकारी अस्पतालों में इस तरह की वित्तीय अनियमितता पर यदि सख्त कदम उठाए गए, तो यह भविष्य में भ्रष्टाचार रोकने की दिशा में एक मिसाल बन सकता है।