सांकेतिक तस्वीर | पाठकराज
पाठकराज
नोएडा। नोएडा प्राधिकरण ने बकाया राशि का भुगतान नहीं कर रहे बिल्डरों के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। 23 ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं के नक्शों की वैधता पर रोक लगा दी गई है। इसका सीधा असर इन बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स में होने वाले नए निर्माण, सब-डिवीजन, लेआउट में बदलाव और को-डेवलपर की नियुक्ति जैसी प्रक्रियाओं पर पड़ेगा। अब इन बिल्डरों द्वारा परियोजनाओं के नक्शों में वैधता बढ़ाने या निर्माण कार्य शुरू करने से जुड़े किसी भी आवेदन को स्वीकृति नहीं दी जाएगी।
प्राधिकरण की एसीईओ वंदना त्रिपाठी ने स्पष्ट किया:
“जब तक बिल्डर अपना बकाया नहीं चुकाता, उससे संबंधित नक्शे की कोई भी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ेगी।”
जीरो पीरियड पॉलिसी के बावजूद लापरवाही
नोएडा प्राधिकरण का यह निर्णय अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों पर लागू की गई 'जीरो पीरियड पॉलिसी' के तहत लिया गया है।
यह पॉलिसी दिसंबर 2023 में प्रभाव में आई थी।
इसके तहत 57 बकायेदार बिल्डरों की सूची तैयार की गई थी।
इन बिल्डरों पर कुल ₹7,800 करोड़ रुपये का बकाया था।
इन बिल्डरों के आवेदन खारिज
अब तक तीन बिल्डरों द्वारा नक्शा वैधता बढ़ाने के लिए दिए गए आवेदन प्राधिकरण ने खारिज कर दिए हैं। इन बिल्डरों के नाम गोपनीय रखे गए हैं, लेकिन संकेत हैं कि ये उन्हीं 23 में से हैं, जिन्होंने बकाया चुकाने में रुचि नहीं दिखाई।
जिन बिल्डरों पर कार्रवाई हुई, उनमें ये प्रमुख नाम शामिल:
सेक्टर |
बिल्डर / प्रोजेक्ट |
सेक्टर-75 |
एम्स मैक्स गार्डेनिया, गार्डेनिया इंडिया, फ्यूटेक शेल्टर्स |
सेक्टर-76 |
सेठी बिल्डवेल |
सेक्टर-77 |
परफेक्ट प्रोपबिल्ड, एवीपी बिल्डटेक, प्रतीक रियल्टर्स |
सेक्टर-78 |
एसोटेक लिमिटेड, सनसाइन इंफ्रावेल, एसजीएस प्रमोटर्स, महागुन रियल एस्टेट्स, अंतरिक्ष रियल्टर्स |
सेक्टर-120 |
प्रतीक रियल्टर्स, आरजी रेजिडेंसी |
सेक्टर-44 |
एसोटेक कांट्रैक्ट्स |
सेक्टर-46 |
गार्डेनिया एम्स डेवलपर |
सेक्टर-50 |
टीजीबी इंफ्राट्रक्चर |
सेक्टर-143/143B |
किंडल इंफ्रा हाइट्स, सिक्का इंफ्राट्रक्चर |
सेक्टर-137 |
एमपीजी रियल्टी |
सेक्टर-121 |
एजीसी रियल्टी |
सेक्टर-61 |
मनीषा कीबी (ईओडब्ल्यू) |
सेक्टर-118 |
आईवीआर प्राइम (ईओडब्ल्यू) |
क्या होगा असर?
जिन बिल्डरों की वैधता समाप्त हो गई है, वे कोई नया निर्माण कार्य शुरू नहीं कर पाएंगे।
ग्राहक भी लंबे समय तक फंसे प्रोजेक्ट्स की स्थिति में सुधार नहीं देख पाएंगे।
प्राधिकरण ने स्पष्ट कर दिया है कि बिना भुगतान, किसी भी प्रकार की विकास या निर्माण अनुमति नहीं दी जाएगी।