Tuesday, June 17, 2025 04:33:42 AM

जल संकट और अवैध वाशिंग सेंटर
ग्रेटर नोएडा में जल संकट के बीच अवैध कार वाशिंग सेंटरों का गोरखधंधा, प्रशासन बेखबर?

ग्रेटर नोएडा में अवैध कार वाशिंग सेंटरों के कारण जल संकट गहराया। निवासी पानी की कमी से जूझ रहे हैं, जबकि अवैध गतिविधियाँ जारी हैं।

ग्रेटर नोएडा में जल संकट के बीच अवैध कार वाशिंग सेंटरों का गोरखधंधा प्रशासन बेखबर
सिग्मा सेक्टर 3 में वाशिंग सेंटर | पाठकराज
पाठकराज

ग्रेटर नोएडा। जहां एक ओर ग्रेटर नोएडा के लाखों निवासी भीषण गर्मी में बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शहर में सैकड़ों ऐसे अवैध कार वाशिंग सेंटर बेखौफ होकर संचालित हो रहे हैं जो न केवल सरकारी जमीन पर काबिज हैं, बल्कि अवैध बोरिंग के माध्यम से भूजल का अंधाधुंध दोहन कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल जल संकट को और अधिक गंभीर बना रही है, बल्कि प्रशासन की उदासीनता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

 

टैंकर से मिल रहा है पानी, फिर भी हो रही है बर्बादी

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण खुद इस बात को स्वीकार कर चुका है कि शहर के कई सेक्टरों में पानी की भारी किल्लत है। हालात यह हैं कि लोगों को टैंकरों के जरिए सीमित मात्रा में पीने योग्य पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। बावजूद इसके, शहर में जगह-जगह खुले अवैध वाशिंग सेंटरों पर हर दिन हजारों लीटर पानी बिना रोकटोक बर्बाद किया जा रहा है।

 

सिग्मा सेक्टर-3 बना हॉटस्पॉट

शहर के सिग्मा सेक्टर-3 में ऐसे दर्जनों अवैध कार वाशिंग सेंटर संचालित हो रहे हैं, जिनके पास न तो प्राधिकरण की अनुमति है और न ही कोई पर्यावरणीय स्वीकृति। सूत्रों की मानें तो इन सेंटरों ने अवैध रूप से बोरिंग कर रखी है, जिससे ये भूमिगत जल का खुलेआम दुरुपयोग कर रहे हैं।

स्थानीय निवासी बताते हैं कि एक तरफ उनके घरों में पानी की आपूर्ति कभी-कभी दो दिन में एक बार होती है, वहीं दूसरी तरफ इन वाशिंग सेंटरों पर बेतहाशा पानी बहाया जा रहा है। इससे आम लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है।

 

प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और जल निगम की टीम को इन अवैध गतिविधियों की जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या इन वाशिंग सेंटरों को राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है?

जल जीवन मिशन और 'सेव वॉटर' जैसे सरकारी अभियानों की असलियत इन तस्वीरों से उजागर हो रही है, जहां एक तरफ प्यासे लोग पानी के लिए लाइन में खड़े हैं और दूसरी ओर हजारों लीटर पानी रोज कारों की धुलाई में बहाया जा रहा है।

 

कानून क्या कहता है?

बिना अनुमति बोरिंग कर भूजल का दोहन करना जल संरक्षण अधिनियम और पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत दंडनीय अपराध है। यदि इन सेंटरों पर कार्रवाई की जाए तो अधिनियम के तहत भारी जुर्माना और जेल तक का प्रावधान है। लेकिन फिलहाल प्रशासन का रवैया बेहद ढीला नजर आ रहा है।

 

स्थानीय लोगों की मांग – हो सख्त कार्रवाई

स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों की मांग है कि:

तत्काल प्रभाव से इन अवैध वाशिंग सेंटरों को बंद किया जाए।

प्राधिकरण और जल विभाग की संयुक्त टीम गठित कर पूरे ग्रेटर नोएडा में जांच अभियान चलाया जाए।

अवैध बोरिंग करने वालों के खिलाफ FIR दर्ज कर उन्हें सजा दी जाए।

पानी की बर्बादी रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।

 

क्या बोले अधिकारी?

जब इस विषय पर प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया, "हमें इस तरह की कुछ शिकायतें मिली हैं। जल्द ही एक सर्वे कराकर ऐसे सभी वाशिंग सेंटरों पर कार्रवाई की जाएगी।"

हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की बातें कई वर्षों से सुनते आ रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम अब तक नहीं उठाया गया है।


सम्बन्धित सामग्री






हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें!

विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें