बेतिया। बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद शराब तस्करी के नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं, लेकिन इस बार जो मामला सामने आया है, उसने पुलिस को भी हैरत में डाल दिया। बेतिया जिले के नौतन थाना क्षेत्र में पुलिस ने दो ऐसे घोड़ों को हिरासत में लिया है जो रात के अंधेरे में यूपी बॉर्डर पार कर शराब लेकर बिहार में दाखिल हो रहे थे।
इन घोड़ों की पीठ पर चार कार्टन में करीब 34 लीटर अंग्रेज़ी शराब लदी थी। खास बात यह है कि ये घोड़े बिना किसी इंसान की मदद के शराब लेकर पहुंच रहे थे। पुलिस को शक है कि इन्हें पहले से ट्रेनिंग देकर रास्ता रटा दिया गया था।
गंडक दियारा के रास्ते की जाती थी तस्करी
पुलिस के अनुसार, तस्कर गंडक दियारा के बीहड़ी रास्तों का इस्तेमाल कर शराब बिहार पहुंचाते थे। घोड़ों के माध्यम से यह काम बेहद सुनियोजित तरीके से किया जा रहा था, ताकि किसी की नजर न पड़े। घोड़े दिन में सामान्य पशु की तरह गांव में रहते थे और रात में तस्करी के लिए भेजे जाते थे।
पुलिस को देखकर भाग निकले तस्कर, कुछ घोड़े नदी पार कर गए
जब पुलिस ने गश्ती के दौरान इन घोड़ों को पकड़ा, तब उनके साथ कोई व्यक्ति मौजूद नहीं था। कुछ अन्य घोड़े नदी पार कर चुके थे और पुलिस की पकड़ से बाहर निकल गए। नौतन के थानाध्यक्ष राजेश कुमार के नेतृत्व में यह कार्रवाई की गई।
सीमावर्ती गांवों से घोड़े खरीदे जा रहे हैं
पुलिस सूत्रों की मानें तो यूपी से सटे सीमावर्ती गांवों में घोड़े खरीदे जा रहे हैं और उन्हें तस्करी के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन घोड़ों को इलाके की गुप्त पगडंडियों और सुरक्षित रास्तों की ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वो बिना रुकावट शराब पहुंचा सकें।
एसपी बोले - निगरानी बढ़ाई गई है
पश्चिमी चंपारण के एसपी डॉ. शौर्य सुमन ने बताया कि पुलिस तस्करी के इस अनोखे तरीके की जांच में जुट गई है। सीमावर्ती इलाकों में शराब तस्करी की गतिविधियों पर सख्त नजर रखी जा रही है और इन घोड़ों के मालिकों की तलाश जारी है।
मुख्य बिंदु:
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यूपी से बिहार तक शराब पहुंचा रहे थे घोड़े
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पीठ पर लदे थे चार कार्टन विदेशी शराब
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घोड़ों को दी गई थी रास्तों की ट्रेनिंग
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कोई तस्कर मौके पर नहीं मिला
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पुलिस सीमावर्ती गांवों में कर रही है छानबीन
बिहार में शराबबंदी के बाद यह पहला मामला नहीं है, जब जानवरों के जरिए तस्करी का खुलासा हुआ हो। इससे पहले भी ड्रोन, एंबुलेंस, और दूध के डिब्बों के जरिए शराब भेजे जाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। लेकिन घोड़े के जरिए तस्करी का यह तरीका प्रशासन के लिए नई चुनौती बन गया है।