मिर्जापुर। नेशनल हाईवे-135 पर स्थित अतरैला शिवगुलाम टोल प्लाजा समेत देश के कई टोल प्लाजाओं पर हुए 120 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच में तेजी आई है। टोल प्लाजा से बरामद लैपटॉप, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जांच के लिए रामनगर स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेज दिया गया है। इस घोटाले के मुख्य आरोपी पंकज शुक्ल को, जो कि भदोही निवासी और शिव बिल्डटेक कंपनी के मालिक हैं, इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है।
पंकज शुक्ल 21 जनवरी की रात को एसटीएफ की छापेमारी के समय फरार हो गए थे। इस कार्रवाई में टोल प्लाजा के तीन कर्मचारी गिरफ्तार किए गए थे। तभी से पुलिस उनकी गिरफ्तारी के प्रयास में जुटी थी।
देशभर के टोल पर फैला घोटाला
जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने स्वनिर्मित सॉफ्टवेयर के माध्यम से टोल वसूली के आंकड़ों में हेरफेर की और करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की। इस मामले में पांच आरोपी पहले ही जेल भेजे जा चुके हैं, जिनमें राजस्थान, मध्यप्रदेश, प्रयागराज, जौनपुर और वाराणसी के निवासी शामिल हैं।
SIT कर रही मामले की गहराई से जांच
घोटाले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक मिर्जापुर द्वारा एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया गया है, जिसकी कमान सीओ लालगंज अशोक सिंह के हाथ में है।
जांच का अगला कदम: डिजिटल साक्ष्य की फॉरेंसिक जांच
जिगना थाना प्रभारी अभय सिंह, जो मामले की विवेचना कर रहे हैं, ने बताया कि बरामद इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज को फॉरेंसिक जांच के लिए रामनगर एफएसएल भेजा गया है। इससे यह जानने में मदद मिलेगी कि टोल वसूली में कैसे और कितनी मात्रा में हेराफेरी की गई।