Wednesday, May 21, 2025 07:23:45 PM

दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या
दिल्ली में बेकाबू हो रही है आवारा कुत्तों की समस्या, रोजाना 2000 लोग हो रहे शिकार

दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या गंभीर हो रही है, प्रतिदिन 2000 लोग कुत्ते के काटने के शिकार होते हैं। नसबंदी अभियान अपेक्षित परिणाम नहीं दे रहा है।

दिल्ली में बेकाबू हो रही है आवारा कुत्तों की समस्या रोजाना 2000 लोग हो रहे शिकार
प्रतीकात्मक तस्वीर
पाठकराज

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। हर दिन औसतन 2000 लोगों को कुत्ते काट रहे हैं, जबकि नगर निगम की ओर से इस खतरे को नियंत्रित करने के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि दिल्ली में कुत्तों की आखिरी जनगणना वर्ष 2016 में हुई थी, और तब दक्षिण दिल्ली नगर निगम के चार जोनों में 1.89 लाख से ज्यादा कुत्तों की मौजूदगी दर्ज की गई थी।

 

हर दस में एक केस दिल्ली से

देशभर में रोजाना लगभग 20,000 डॉग बाइट केसेज सामने आते हैं, जिनमें से 10 प्रतिशत अकेले दिल्ली से होते हैं।

  • 2023 में डॉग बाइट केस: 57,173

  • 2024 में (अगस्त तक): 44,995

 

नसबंदी पर सवाल

बढ़ती कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए नगर निगम द्वारा एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) प्रोग्राम चलाया जा रहा है। हालांकि, संसाधनों की भारी कमी और कार्यबल की अनियमितता के चलते यह अभियान अपेक्षित परिणाम नहीं दे पा रहा है।

 

वित्तीय वर्ष नसबंदी की संख्या
2020-21 51,990
2021-22 91,326
2022-23 59,076
2023-24 79,959
अप्रैल 2024 – फरवरी 2025 1,20,264 (लक्ष्य)

 

  • दिल्ली में सिर्फ 20 ABC केंद्र हैं, जिनमें से अधिकांश का संचालन 11 एनजीओ और चार निजी पशु चिकित्सक करते हैं।

  • केंद्रों में सिर्फ 250 वार्ड से कुत्ते लाए जा सकते हैं, जो राजधानी के लिए बेहद अपर्याप्त है।

 

 शैक्षणिक संस्थानों तक पहुंचा खतरा

कुत्तों का आतंक अब सड़क से निकलकर कॉलेज परिसरों तक जा पहुंचा है। हाल ही में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में दृष्टिबाधित छात्रों को आवारा कुत्तों ने शिकार बनाया।

 

 जनता की परेशानी

  • बच्चे बाहर खेलने से डरते हैं।

  • महिलाएं और बुजुर्ग भय के साये में जी रहे हैं।

  • घरेलू कामगारों को आए दिन हमले का डर सताता है।

 

प्रमुख समस्याएं

  • कोई नियमित सर्वे नहीं – आखिरी सर्वे 2016 में हुआ।

  • एमसीडी और एनजीओ के पास सीमित संसाधन – कई कर्मचारी वेतन न मिलने से परेशान।

  • कानूनी अड़चनें – हिंसक कुत्तों को हटाना मौजूदा ABC नियमों के तहत आसान नहीं।

 

प्रशासनिक प्रतिक्रिया और योजनाएं

  • एमसीडी का लक्ष्य: 2024-25 में 1.1 लाख कुत्तों की नसबंदी।

  • शाहदरा क्षेत्र में दो नए एबीसी केंद्रों की योजना, भूमि मिलने पर निर्माण शुरू होगा।

  • मुख्यमंत्री का निर्देश: व्यवस्थित पुनर्वास और ठोस कार्य योजना बनाई जाए।

 

 

जनता की मांग

  • सुरक्षित सार्वजनिक स्थानों की गारंटी हो।

  • वार्ड स्तर पर लक्षित नसबंदी अभियान चलाया जाए।

  • हिंसक कुत्तों की पहचान और प्रबंधन के लिए स्पष्ट नीति लागू हो।

 


सम्बन्धित सामग्री