Friday, May 30, 2025 10:44:12 AM

खाद्यान्न घोटाले का खुलासा
बड़ा खुलासा: एक आधार कार्ड पर 100 लोगों को मिला राशन, CID जांच में अफसरों की मिलीभगत उजागर

उत्तर प्रदेश में खाद्यान्न घोटाले की जांच में CID ने कई वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदार पाया। मामले में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और आधार डेटा में हेरफेर का खुलासा हुआ।

बड़ा खुलासा एक आधार कार्ड पर 100 लोगों को मिला राशन cid जांच में अफसरों की मिलीभगत उजागर
प्रतीकात्मक तस्वीर | पाठकराज
पाठकराज

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बरेली, आगरा और मेरठ मंडलों में हुए बहुचर्चित खाद्यान्न घोटाले की परतें अब तेजी से खुल रही हैं। इस घोटाले की जांच कर रही क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) ने चौंकाने वाले खुलासे करते हुए कई वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों को घोटाले का जिम्मेदार ठहराया है।

CID की जांच रिपोर्ट के अनुसार, राशन डीलरों से लेकर डीएसओ (जिला पूर्ति अधिकारी) और यहां तक कि एडीएम (अपर जिला मजिस्ट्रेट) स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत से यह गबन अंजाम दिया गया। जांच में सामने आया कि एक-एक आधार कार्ड पर 90 से 100 लोगों को राशन वितरित किया गया। इतना ही नहीं, कई नाबालिग बच्चों के नाम पर भी राशन जारी कर गरीबों के हक को हड़प लिया गया। सीआईडी ने मेरठ के तत्कालीन डीएसओ विकास गौतम समेत कई अधिकारियों और कर्मचारियों को सीधे जिम्मेदार मानते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है।

 

घोटाले की पृष्ठभूमि

यह घोटाला सबसे पहले 2018 में उजागर हुआ था, जिसमें बताया गया कि 2015 से 2018 के बीच तीनों मंडलों में राशन वितरण में भारी अनियमितताएं हुईं। अब तक इस मामले में 134 से अधिक मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। प्रारंभिक जांच आर्थिक अपराध शाखा (EOW) के पास थी, लेकिन पांच साल में कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकल पाया। इसके बाद फरवरी 2024 में यह मामला CID को सौंपा गया, जिसने अब तक 110 मुकदमों का निस्तारण कर दिया है।

जांच में खुलासा हुआ कि अधिकारियों और डीलरों ने मिलकर आधार डाटा में हेरफेर की। असली लाभार्थियों के आधार विवरण को एडिट कर, अपात्रों को राशन जारी किया गया। चार्जशीट में कई पूर्ति निरीक्षक, कोटेदार, सेल्समैन और डाटा ऑपरेटर नामजद किए गए हैं।

 

अब धोखाधड़ी पर लगेगा ब्रेक: आएगी L-1 तकनीक

इस घोटाले की पुनरावृत्ति रोकने के लिए राज्य सरकार ने अब एल-1 तकनीक को लागू करने का निर्णय लिया है। खाद्य एवं रसद विभाग के प्रमुख सचिव रणवीर प्रसाद ने बताया कि इस तकनीक के तहत ई-पॉश मशीनों में अत्याधुनिक फिंगरप्रिंट स्कैनर लगाए जाएंगे, जो अंगूठे की सटीक पहचान सुनिश्चित करेंगे और किसी भी प्रकार की फर्जीवाड़े की गुंजाइश खत्म हो जाएगी। यह प्रणाली 30 जून 2025 तक पूरे राज्य में अनिवार्य रूप से लागू कर दी जाएगी।


सम्बन्धित सामग्री