मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ | पाठकराज
पाठकराज
नोएडा। उत्तर प्रदेश, जो एक समय अपराध, माफिया राज और जंगलराज के लिए कुख्यात माना जाता था, आज कानून के शासन और अपराधियों के खौफ के लिए जाना जा रहा है। यह बदलाव सिर्फ व्यवस्था का नहीं, बल्कि नेतृत्व और नीयत का परिणाम है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश में 'जीरो टॉलरेंस नीति' को जमीन पर उतारा गया है। इसका असर इतना गहरा है कि अपराधी अब या तो जेल में हैं, मारे जा चुके हैं या प्रदेश छोड़कर भाग चुके हैं।
आँकड़े (2017–2025) |
योगी सरकार |
कुल मुठभेड़ें |
14,741 |
गिरफ्तार अपराधी |
30,293 |
घायल अपराधी |
9,202 |
मारे गए अपराधी |
234 |
घायल पुलिसकर्मी |
1,700+ |
शहीद पुलिसकर्मी |
18 |
तुलना: पूर्व की सरकारों में क्या था हाल?
अखिलेश यादव सरकार (2012–2017):
एनकाउंटर बेहद सीमित संख्या में हुए
कई बड़े अपराधी जेल से ही गैंग चला रहे थे
माफिया जैसे मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद बेलगाम
पुलिस पर राजनीतिक दबाव, ट्रांसफर-पोस्टिंग को उद्योग बना दिया गया
मायावती सरकार (2007–2012):
कुछ हद तक सख्ती जरूर दिखाई गई, पर गहराई से अभियान नहीं चला
अफसरों की जवाबदेही सीमित थी
माफिया पर कार्रवाई सीमित दायरे में ही रही
लेकिन योगी सरकार ने क्या किया?
संस्था आधारित सुधार
माफिया की अवैध संपत्ति कुर्क (सैकड़ों करोड़ की संपत्ति जब्त)
एनएसए और गैंगस्टर एक्ट का संगठित इस्तेमाल
जमीन, ठेका, शराब, ट्रांसपोर्ट माफिया पर भी कार्रवाई
ज़ोन |
मुठभेड़ |
गिरफ्तार |
घायल अपराधी |
मारे गए अपराधी |
मेरठ |
4,183 |
7,871 |
2,839 |
77 |
वाराणसी |
1,041 |
2,009 |
605 |
26 |
आगरा |
2,288 |
5,496 |
715 |
19 |
कमिश्नरेट सिस्टम में:
-
लखनऊ: 126 मुठभेड़ | 11 मारे गए
-
गौतमबुद्ध नगर: 1,035 मुठभेड़ | 9 मारे गए
-
कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज कमिश्नरेट्स में भी उल्लेखनीय कार्रवाई
डीजीपी राजीव कृष्ण ने कहा
"अब यूपी में कानून का राज है। अपराधियों को संरक्षण नहीं, केवल सज़ा मिल रही है। जनता खुद को पहले से अधिक सुरक्षित महसूस कर रही है।"
‘माफिया मुक्त यूपी’ — नारा नहीं, ज़मीनी हकीकत
अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, विजय मिश्रा, प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी जैसे माफियाओं पर कड़ा शिकंजा
500 से अधिक माफिया की संपत्तियां कुर्क
100+ अवैध निर्माण गिराए गए
बलात्कार, हत्या, लूट जैसे अपराधों में कमी के आंकड़े NCRB की रिपोर्ट में दर्ज