Friday, May 30, 2025 11:04:04 AM

नया ट्रस्ट गठन
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर का सरकारी ट्रस्ट गठित, सेवायतों के बीच होगा चुनाव

उत्तर प्रदेश सरकार ने वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए 18 सदस्यीय नया न्यास गठित किया है, जिसमें सेवायत चुनाव भी शामिल होंगे।

ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर का सरकारी ट्रस्ट गठित सेवायतों के बीच होगा चुनाव
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर का सरकारी ट्रस्ट गठित, सेवायतों के बीच होगा चुनाव | पाठकराज
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मथुरा/वृंदावन। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रसिद्ध ठाकुर श्री बांकेबिहारी मंदिर के सुचारू प्रबंधन के लिए बड़ा कदम उठाते हुए 18 सदस्यीय न्यास (ट्रस्ट) का गठन कर दिया है। इस ट्रस्ट का गठन अध्यादेश लाकर किया गया है, जिसमें दो सेवायतों को भी शामिल किया जाएगा—एक राजभोग सेवा से और एक शयन भोग सेवा से।

सेवायतों की बड़ी संख्या को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि इन दो पदों के लिए सेवायतों के बीच चुनाव कराया जाएगा। गौरतलब है कि वर्ष 2013 के बाद से सेवायतों के बीच कोई चुनाव नहीं हुआ है। ऐसे में अब प्रशासन की देखरेख में मतदाता सूची दोबारा तैयार की जाएगी और उसी के आधार पर मतदान कराया जाएगा।

 

सीईओ की तैनाती और न्यास की संरचना

सरकार द्वारा गठित न्यास की निगरानी के लिए एक एडीएम स्तर के अधिकारी को मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के रूप में नियुक्त किया जाएगा, जो पूर्णकालिक रूप से मंदिर की व्यवस्थाओं को देखेंगे। उम्मीद की जा रही है कि एक सप्ताह के भीतर CEO की तैनाती कर दी जाएगी, जिसके बाद न्यास के अन्य सदस्यों को भी शामिल करने की प्रक्रिया शुरू होगी।

 

स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा गरमाया

न्यास में बाहरी लोगों को शामिल किए जाने की संभावना से स्थानीय सेवायत और भक्तगण चिंतित हैं। उनका कहना है कि ठाकुर जी की सेवा व परंपरा से जुड़े स्थानीय लोगों को ही प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

महंत फूलडोल बिहारीदास ने कहा,“सेवा का अधिकार सेवायतों पर ही रहना चाहिए। ट्रस्ट में स्थानीय, ब्रज की परंपरा को जानने वालों को प्रतिनिधित्व मिले।”

वहीं महामंडलेश्वर भास्करानंद ने न्यास गठन को सकारात्मक पहल बताते हुए कहा, “जैसे वैष्णो देवी, काशी विश्वनाथ व महाकाल मंदिर में ट्रस्ट व्यवस्था से विकास हुआ, वैसे ही वृंदावन में भी सुविधाएं बढ़ेंगी। हमें व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठकर विकास की दिशा में बढ़ना चाहिए।”

 

भविष्य की राह

सरकार का मानना है कि ट्रस्ट व्यवस्था से मंदिर प्रबंधन अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित होगा। वहीं सेवायतों के एक वर्ग का मानना है कि उनकी परंपरागत भूमिका और अधिकारों को संरक्षित रखा जाना चाहिए। अब सभी की निगाहें आगामी सेवायत चुनाव और CEO की नियुक्ति पर टिकी हैं, जो यह तय करेंगे कि वृंदावन के सबसे प्रसिद्ध मंदिर का प्रशासन किस दिशा में आगे बढ़ेगा।


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