शनिवार को अट्टा मार्केट में बिना मास्क घूमते लोग | पाठकराज
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नोएडा। दिल्ली-एनसीआर समेत नोएडा में कोरोना वायरस की एक और लहर दस्तक दे चुकी है। बीते 24 घंटों में नोएडा में संक्रमण के मामलों में तेजी आई है, लेकिन इसके बावजूद जनता की लापरवाही और प्रशासन की उदासीनता चिंता का विषय बनती जा रही है। शनिवार तक जिले में कोरोना के सक्रिय मरीजों का आंकड़ा 57 हो गया।चाहे वह मॉल हो या जिला अस्पताल, मेट्रो स्टेशन हो या साप्ताहिक बाजार, हर जगह लोगों की भीड़ उमड़ रही है और अधिकतर लोग बिना मास्क नजर आ रहे हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भी सामाजिक दूरी जैसे नियमों का पालन नहीं हो रहा है। शनिवार को पाठकराज की टीम ने शहर के विभिन्न बाजारों का दौरा किया तो पाया कि लोगो बिना मास्क के बाजारों में खरीदारी कर रहे हैं, लेकिन किसी को भी आनेवाले खतरे का भय नहीं है।
स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन बेखबर
सबसे चिंताजनक बात यह है कि जिला स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोई ठोस दिशा-निर्देश अभी तक सामने नहीं आए हैं। न तो जांच की व्यवस्था बढ़ाई गई है और न ही कोई जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। वहीं, जिला प्रशासन की ओर से भी सार्वजनिक स्थलों पर किसी प्रकार की पाबंदी नहीं लगाई गई है। ऐसे में सवाल उठता है—क्या प्रशासन संभावित खतरे को नजरअंदाज कर रहा है?
स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही का माहौल
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि संक्रमण की गति ऐसे ही बनी रही, तो जल्द ही हालात बेकाबू हो सकते हैं। लेकिन नोएडा में लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति बेहद लापरवाह नजर आ रहे हैं। न कोई मास्क, न सैनिटाइजर और न ही कोरोना को लेकर कोई सतर्कता।
क्या कहता है आंकड़ों का रुझान
जिला प्रशासन की तरफ से आधिकारिक डेटा सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, संक्रमण की दर में वृद्धि दर्ज की जा रही है और यह आंकड़ा 57 तक पहुंच गया है।
जरूरत है सख्त कदमों और जन-जागरूकता की
विशेषज्ञों और नागरिक संगठनों का मानना है कि अब समय आ गया है जब सार्वजनिक स्थलों पर मास्क अनिवार्य किया जाए, जांच की संख्या बढ़ाई जाए और लोगों को संक्रमण के खतरे के प्रति जागरूक किया जाए।