गाजियाबाद जिला महिला अस्पताल
पाठकराज
गाजियाबाद। जिला महिला अस्पताल में मंगलवार को एक दर्दनाक घटना घटी, जब पांच माह की गर्भवती महिला की इलाज से पहले ही मौत हो गई। यह पहली बार है जब अस्पताल प्रबंधन ने किसी गर्भवती महिला की मौत पर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और पुलिस को इसकी औपचारिक सूचना दी है।
इलाज से पहले ही तोड़ दिया दम
मृतका की पहचान पिंकी, पत्नी मनोज के रूप में हुई है, जो कृष्णा नगर, विजयनगर की निवासी थीं। जानकारी के मुताबिक, पिंकी को तेज ब्लीडिंग हो रही थी और वह पहले दो निजी अस्पतालों में इलाज के लिए गई, लेकिन दोनों ने उसे भर्ती करने से इनकार कर दिया। आखिर में जब पति मनोज पिंकी को जिला महिला अस्पताल लेकर पहुंचे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अस्पताल के चिकित्सकों ने पिंकी को मृत घोषित कर दिया।
मौत के पीछे कारण और लापरवाही की आशंका
सीएमएस डॉ. अलका शर्मा ने बताया कि पिंकी को बुखार और टाइफाइड की भी शिकायत थी। आशंका है कि समय पर उचित इलाज न मिलने और हाई रिस्क प्रेगनेंसी की अनदेखी के कारण यह दुखद घटना घटी।
गौरतलब है कि गाजियाबाद में पिछले एक वर्ष में 28 गर्भवती महिलाओं की मौत हो चुकी है। केवल अप्रैल माह में ही महिला अस्पताल में तीन गर्भवती महिलाओं की मौत हुई थी, जिसके बाद सीएमओ स्तर से ‘डेथ ऑडिट’ कराया जा रहा है।
प्रसव पूर्व देखभाल में भारी लापरवाही
जिले में हाई रिस्क प्रेगनेंसी को समय रहते चिन्हित न कर पाना, आयरन और कैल्शियम की गोलियां नियमित रूप से न देना, और तीन माह के बाद अनिवार्य अल्ट्रासाउंड जांच न कराना इन मौतों का प्रमुख कारण बताया जा रहा है। यह विडंबना की बात है कि जिले में 68 केंद्रों पर निशुल्क अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा उपलब्ध है, फिर भी अधिकांश महिलाओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा।
स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर सवाल
जिला स्वास्थ्य समिति हर माह गर्भवती महिलाओं की मौत का ऑडिट तो कराती है, लेकिन अब तक लापरवाही बरतने वाले चिकित्सकों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। स्वजन से शिकायत तक दर्ज नहीं की जा रही।