नोएडा। उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा के एक जांबाज़ और तेजतर्रार अधिकारी आईपीएस राजीव नारायण मिश्र एक बार फिर से चर्चा में हैं। उन्हें गौतमबुद्ध नगर का नया अपर पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब जिले में कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक पारदर्शिता को मजबूत करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
राजीव नारायण मिश्र को केवल उनके नाम से नहीं, बल्कि उनके साहसिक कार्यों, ईमानदारी और प्रशासनिक कुशलता के लिए जाना जाता है। 5 जुलाई 2005 को श्रीराम जन्मभूमि, अयोध्या पर हुए आतंकी हमले में उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकवादियों से सीधी मुठभेड़ करते हुए पांचों हमलावरों को ढेर किया था। इस अद्वितीय वीरता के लिए उन्हें राष्ट्रपति द्वारा वीरता पदक से सम्मानित किया गया।
साहस और सेवा का नाम: राजीव नारायण मिश्र
राजीव नारायण मिश्र 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने कानपुर से बीकॉम और एमकॉम, और रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। पुलिस सेवा में आने से पहले वे मध्यप्रदेश पीसीएस में चयनित होकर खंडवा में कार्यरत थे। साथ ही वे पीपीएन डिग्री कॉलेज, कानपुर में प्रवक्ता के पद पर भी कार्य कर चुके हैं।
उनकी प्रशासनिक यात्रा वाराणसी, अयोध्या, बरेली, मेरठ, कुशीनगर और लखनऊ जैसे कई संवेदनशील जिलों में हुई है। वे एटीएस, एसटीएफ और ट्रैफिक पुलिस जैसी महत्वपूर्ण यूनिटों में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक उल्लंघन के लिए कैमरा चालान प्रणाली लागू करने वाले वह पहले अधिकारी थे, जिससे सड़क दुर्घटनाओं में बड़ी कमी दर्ज की गई।
कोरोना काल में भी दिखाई दूरदर्शिता
कोविड-19 की पहली लहर में उन्होंने अपनी पीएसी वाहिनी की ओपीडी को एल-1 अस्पताल में बदल दिया और जवानों के लिए चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराईं। उनकी पहल को उत्तर प्रदेश में मॉडल के रूप में लागू किया गया।
साइबर अपराधियों पर कसी नकेल
राजीव नारायण मिश्र ने साइबर क्राइम पर सख्त कार्रवाई करते हुए 37,000 करोड़ रुपये की बरामदगी करवाई थी। वह न केवल अपराधियों के खिलाफ सख्ती के लिए, बल्कि पुलिसिंग में नवाचार और मानवीय संवेदनशीलता के लिए भी पहचाने जाते हैं।
अब नोएडा से नई उम्मीदें
नोएडा पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने उन्हें लॉ एंड ऑर्डर के साथ-साथ 'रिट सेल' के पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी भी सौंपी है। अब एक बार फिर से जब वह नोएडा की कमान संभालने लौटे हैं, तो शहरवासियों को उम्मीद है कि उनका अनुभव और निर्णायक नेतृत्व शहर की सुरक्षा और व्यवस्था में नया अध्याय जोड़ेगा।