सड़क सुरक्षा बजट लैप्स होने से बचा, लेकिन अब खर्च कैसे हो—इस पर उलझन में परिवहन निगम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं। हालांकि, वित्तीय वर्ष 2023-24 में सड़क सुरक्षा मद में मिले बजट में से 10 करोड़ रुपये शेष रह गए, जिसे लैप्स होने से बचाने के लिए आखिरकार परिवहन विभाग ने यह धनराशि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (रोडवेज) को ट्रांसफर कर दी।
अब सवाल यह खड़ा हो गया है कि रोडवेज इस राशि का इस्तेमाल कैसे करे?
सड़क सुरक्षा में विशेषज्ञता नहीं, उलझन में रोडवेज
सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की प्राथमिक जिम्मेदारी बसों और बस अड्डों के संचालन तक सीमित है। सड़क सुरक्षा जैसे विशिष्ट तकनीकी क्षेत्र में उसके पास न तो विशेषज्ञता है और न ही बुनियादी ढांचा।
निगम के अधिकारियों का कहना है कि वे अब सड़क सुरक्षा के विशेषज्ञों की तलाश कर इस फंड के उपयोग पर विचार कर रहे हैं।
परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर ने पुष्टि की कि:
“सड़क सुरक्षा मद के 10 करोड़ रुपये निगम को ट्रांसफर किए गए हैं। इस फंड के बेहतर उपयोग को लेकर विभागीय स्तर पर बातचीत चल रही है।”
बजट लैप्स न हो, इसलिए ट्रांसफर का निर्णय
दरअसल, वित्तीय वर्ष समाप्त होने पर यदि कोई फंड खर्च नहीं होता तो वह लैप्स (व्यर्थ) हो जाता है। इसी को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया। बजट प्रबंधन के नजरिये से यह एक तात्कालिक समाधान था, लेकिन अब इसका सार्थक उपयोग करना एक नई चुनौती बन गया है।