निदेशक अमित सिंह की पहल लाई रंग, 57,000 से अधिक ग्राम पंचायतों में स्थापित होंगे स्थायी आधार सेवा केंद्र
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पंचायती राज व्यवस्था में डिजिटल क्रांति की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने पंचायती राज निदेशालय, उत्तर प्रदेश को रजिस्ट्रार और नामांकन एजेंसी के रूप में अधिकृत कर दिया है। इस निर्णय के बाद, राज्य की सभी 57,000 से अधिक ग्राम पंचायतों में स्थायी आधार नामांकन और अद्यतन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इस अभूतपूर्व पहल के पीछे पंचायती राज निदेशक अमित कुमार सिंह की दृढ़ इच्छाशक्ति और रणनीतिक नेतृत्व माना जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस योजना का क्रियान्वयन चरणबद्ध तरीके से जिलेवार किया जाएगा। प्रत्येक ग्राम सचिवालय को आधार सेवा केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसका संचालन ग्राम पंचायत सहायकों के माध्यम से किया जाएगा।
गांवों में ही मिलेंगी आधार सेवाएं
ग्राम सचिवालय स्तर पर आधार केंद्रों की स्थापना से ग्रामीणों को अब नामांकन, अद्यतनीकरण और प्रमाणीकरण जैसी जरूरी सेवाएं अपने ही गाँव में उपलब्ध होंगी। इससे ग्रामीणों को जिला मुख्यालय या शहरों के चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं होगी। यूआईडीएआई द्वारा ग्राम पंचायत सहायकों का प्रशिक्षण आगामी 11 अगस्त 2025 से शुरू किया जाएगा, ताकि वे आधार सेवाओं का कुशल प्रबंधन कर सकें। वर्तमान में यही सहायक ई-गवर्नेंस सेवाओं के संचालन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
मुख्यमंत्री के विजन को साकार करती पहल
इस योजना को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के “डिजिटल ग्राम, सशक्त ग्राम” के विजन से प्रेरित बताया जा रहा है। पंचायती राज मंत्री श्री ओम प्रकाश राजभर ने इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार की यह योजना ग्राम स्तर पर आत्मनिर्भर भारत की नींव रखेगी। प्रमुख सचिव, पंचायती राज अनिल कुमार ने बताया कि यह कदम डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देगा और ग्रामीण नागरिकों को केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने में सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि आधार सीडिंग और प्रमाणीकरण से योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान और वितरण में पारदर्शिता आएगी।