उत्तर प्रदेश के जौनपुर में तालाबों की भूमि पर अवैध

तालाबों पर कब्जा और प्रशासन की चुप्पी! मुंगराबादशाहपुर व भीलमपुर के मामले में अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल

भीलमपुर मामले में वादी द्वारा दी गई शिकायत

जौनपुर।  उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां एक ओर प्रदेश के पारंपरिक जल स्रोतों — तालाबों और पोखरों — के संरक्षण के लिए मिशन मोड पर कार्य कर रहे हैं, वहीं जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर जिले के डीएम से स्पष्ट जवाब मांगा है कि तरहठी गांव में तालाब भूमि से अवैध कब्जा हटाने के आदेश पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई।

यह आदेश न्यायमूर्ति जे. जे. मुनीर की एकल पीठ ने माता शंकर राजमणि शुक्ल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में कहा गया था कि मुंगराबादशाहपुर के तरहठी गांव में ग्राम सभा की तालाब भूमि पर अतिक्रमण कर लिया गया है। एसडीएम मछलीशहर द्वारा मई 2025 में कब्जा हटाने का आदेश भी जारी हुआ था, परंतु आज तक उस पर अमल नहीं हुआ।

 

हाईकोर्ट का सवाल:

  • आदेश पर अमल क्यों नहीं हुआ?

  • क्या आदेश के विरुद्ध कोई अपील या स्थगनादेश है?

  • यदि नहीं, तो अधिकारियों ने आदेश की अवहेलना क्यों की?

 

कोर्ट ने सीजेएम के माध्यम से आदेश की प्रति डीएम को भेजने और दो सप्ताह में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही विद्या रत्न शुक्ल और अवनीश शुक्ल अतुल को नोटिस जारी किए गए हैं।

 

भीलमपुर में भी करोड़ों की तालाब भूमि पर कब्जा, प्रशासन मौन

सदर तहसील के अंतर्गत भीलमपुर गांव में कपूर तिवारी और उनके परिजनों द्वारा सरकारी तालाब की जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया गया है। शिकायत मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर की गई थी, जिसके बाद शासन स्तर से जांच के आदेश जारी हुए। लेकिन स्थानीय लेखपाल ने तालाब को कब्जा मुक्त घोषित कर दिया, जबकि गांव के लोग और भौतिक स्थिति कुछ और कहानी कह रही है।

 

एसडीएम सदर का उदासीन रवैया

जिला प्रशासन की लापरवाही यहीं नहीं रुकी। एसडीएम सदर के कार्यालय को मुख्यमंत्री कार्यालय से सीधे आदेश मिले थे कि वह मामले की गंभीरता से जांच करें। लेकिन आज तक न कोई निरीक्षण हुआ, न कोई जवाब। शिकायतकर्ता को मोबाइल पर "जांच पूर्ण" का संदेश जरूर मिल गया।

 

क्या ये रवैया सीएम योगी की नीति को धक्का नहीं?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बार-बार यह दोहराते रहे हैं कि तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त कराकर पुनर्जीवित किया जाएगा, और इसके लिए हर जिले को विशेष निर्देश दिए गए हैं। लेकिन जौनपुर में स्थानीय अधिकारियों का निष्क्रिय रवैया उनकी मंशा को ठेंगा दिखा रहा है। अब देखना यह है कि जौनपुर जिला प्रशासन हाईकोर्ट और मुख्यमंत्री कार्यालय से मिले इन निर्देशों पर क्या कदम उठाता है — या यह मामला भी सिस्टम की फाइलों में गुम हो जाएगा?