ग्रेटर नोएडा के उपभोक्ता आयोग ने HDFC एर्गो को निर

बीमा कंपनियां पुरानी बीमारी का हवाला देकर क्लेम नहीं कर सकतीं खारिज : जिला उपभोक्ता आयोग

फाइल फोटो

ग्रेटर नोएडा। जिला उपभोक्ता आयोग ने स्वास्थ्य बीमा धारकों के हित में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि बीमा कंपनियां "पुरानी बीमारी" का हवाला देकर इलाज के खर्च की अदायगी से मुकर नहीं सकतीं। आयोग ने एचडीएफसी एर्गो हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को निर्देश दिया है कि वह उपभोक्ता को 2.15 लाख रुपये 6% वार्षिक ब्याज सहित 30 दिनों के भीतर अदा करे। साथ ही 2,000 रुपये वाद व्यय भी भुगतान करने का आदेश दिया गया है।


क्या है मामला?

खैरपुर गांव निवासी सुरेंद्र ने 8 दिसंबर 2018 को एचडीएफसी एर्गो से स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदी थी और हर साल उसका नवीनीकरण भी कराया।

  • अगस्त 2020 में बीमा कंपनी ने उनके इलाज का खर्च वहन किया।

  • नवंबर 2021 में ब्रेन स्ट्रोक की वजह से उन्हें नियो अस्पताल, नोएडा में भर्ती कराना पड़ा।

इलाज के बाद सुरेंद्र ने सभी दस्तावेज और बिल बीमा कंपनी को सौंपे, लेकिन कंपनी ने क्लेम खारिज करते हुए पॉलिसी को ही निरस्त कर दिया।


बीमा कंपनी की दलील

कंपनी ने कहा कि मरीज को पहले से डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी थी और बीमा लेते समय यह जानकारी नहीं दी गई। चूंकि पॉलिसी ऑनलाइन ली गई थी, इसलिए सही जानकारी देना उपभोक्ता की जिम्मेदारी थी।


आयोग का निर्णय

आयोग अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर और सदस्य अंजु शर्मा ने कहा कि –

  • पॉलिसी कई वर्षों से नियमित रूप से चल रही थी।

  • पहले के इलाज में क्लेम का भुगतान भी किया गया था।

  • ऐसे में बाद में इलाज के खर्च को पुरानी बीमारी का बहाना बनाकर नकारना अनुचित है।

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि बीमा कंपनियां अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकतीं।