Thursday, May 15, 2025 11:46:43 PM

बीमा क्लेम के लिए हत्या
बीमा बना ‘जी का जंजाल’, दिव्यांग दरियाव की हत्या की साजिश में खुला 15 लाख का बीमा घोटाला

उत्तर प्रदेश के संभल में बीमा क्लेम के लिए दिव्यांग की निर्मम हत्या की गई। पांच बीमा पॉलिसियां और चार गिरफ्तारियां।

बीमा बना ‘जी का जंजाल’ दिव्यांग दरियाव की हत्या की साजिश में खुला 15 लाख का बीमा घोटाला
संभल पुलिस की प्रेस कॉन्फ्रेंस की तस्वीर
यूपी पुलिस
संभल, उत्तर प्रदेश: कहते हैं बीमा जीवन की सुरक्षा का वादा करता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक मासूम दिव्यांग के लिए बीमा ही उसकी मौत का कारण बन गया। यह कोई साधारण सड़क हादसा नहीं, बल्कि एक बेहद सोची-समझी और निर्मम साजिश थी — बीमा क्लेम के लालच में की गई हत्या।

 

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, संभल के ढीलवारी गांव निवासी दरियाव जाटव के नाम पर साल 2023 में पांच अलग-अलग बीमा कंपनियों से फर्जी दस्तावेजों के जरिए पॉलिसी ली गई थी। यह साजिश रची थी पंकज राघव, हरिओम सिंह और विनोद ने, जिन्होंने एक बीमा एजेंट की मदद से यह जाल बिछाया। जब सभी पॉलिसियां एक्टिव हो गईं, तो अगस्त 2024 में पेशेवर अपराधी प्रताप को दरियाव की हत्या के लिए सुपारी दी गई। 21 जुलाई की रात दरियाव बाजार जाने के बहाने घर से निकला था। कुछ घंटे बाद सैनिक चौराहे के पास उसका शव बरामद हुआ। पहले यह हादसा समझा गया, लेकिन हकीकत कुछ और थी।

 

हत्या को हादसा बताकर केस किया गया बंद

पहले पोस्टमार्टम में दरियाव की मौत सिर में गंभीर चोट और शरीर के रगड़ने से होना बताया गया, जिससे पुलिस ने इसे सड़क हादसा मानकर दिसंबर 2024 में केस बंद कर दिया

 

बीमा कंपनियों की सतर्कता से फूटा राज

जब मृतक के नाम पर किए गए बीमा क्लेम की जांच शुरू हुई, तो दस्तावेजों और डिजिटल साक्ष्यों में अनियमितताएं दिखीं। यहीं से शक गहराया और पुलिस ने केस को दोबारा खोला। जांच में सामने आया कि दरियाव की मौत कोई हादसा नहीं, बल्कि बीमा राशि हड़पने के लिए की गई साजिशन हत्या थी।

 

15 लाख की ठगी और चार गिरफ्तार

पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और हत्या, धोखाधड़ी, साजिश और फर्जी दस्तावेज तैयार करने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। अब तक आरोपी करीब 15 लाख रुपये बीमा क्लेम में हड़प चुके थे।

 

क्या कहते हैं अधिकारी?

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, "बीमा कंपनियों की जांच ने मामले का सच सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस केस से यह भी साफ है कि बीमा के नाम पर धोखाधड़ी की घटनाएं किस कदर घातक रूप ले सकती हैं।"


सम्बन्धित सामग्री