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ग्रेटर नोएडा। शारदा यूनिवर्सिटी की एक छात्रा द्वारा आत्महत्या किए जाने की दुखद घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। छात्रा ने शिक्षकों पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए खुदकुशी की, जिससे शिक्षा संस्थानों की सुरक्षा और जवाबदेही को लेकर गहरे सवाल उठने लगे हैं। बता दें कि पांच दिन पहले ओडिशा के बालासोर में भी एक छात्रा ने विश्वविद्यालय प्रबंधन के मानसिक उत्पीड़न से तंग आकर आत्मदाह कर लिया था।
इस घटना पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई विपक्षी नेताओं ने केंद्र व राज्य सरकार से कड़े सवाल पूछे हैं। प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा:
"क्या हमारे शैक्षणिक संस्थान हमारे बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं हैं? जहां जिंदगी ही सुरक्षित न हो, वहां वे बेहतर जिंदगी के सपने कैसे देखेंगे?"
उन्होंने आगे कहा कि पहले ओडिशा में एक छात्रा को आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया, और अब ग्रेटर नोएडा की यह घटना सामने आई है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इन मामलों का तत्काल संज्ञान लिया जाए और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, ताकि कैंपस में दोबारा ऐसी घटनाएं न हों।
छात्र सुरक्षा पर उठे सवाल
माना जा रहा है कि छात्रा ने एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें शिक्षकों पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया गया है। परिजनों ने भी यही दावा करते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है। घटना के बाद छात्रों में रोष व्याप्त है और कई छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर लापरवाही और दबाव बनाने का आरोप लगाया है।
सरकारी कार्रवाई की मांग तेज़
विपक्षी नेताओं ने कहा कि लड़कियों को समाज में हर कदम पर दोहरी लड़ाई लड़नी पड़ती है, और अगर शिक्षण संस्थानों में भी वे सुरक्षित नहीं हैं, तो यह न सिर्फ सामाजिक विफलता है बल्कि व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल है।
प्रियंका गांधी ने मांग की कि केंद्र और राज्य सरकारें छात्र सुरक्षा के लिए ठोस और प्रभावी नीति बनाएँ, साथ ही मानसिक स्वास्थ्य को लेकर संस्थानों में काउंसलिंग और जागरूकता अभियान अनिवार्य किए जाएं।